SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनकथा रत्नकोप नाग पांचमो, सीयें आवीने तेल बली गयुं, त्यारें बीजी वार पूयुं एम ज्यारें ज्यारें तेल थ रहे,त्यारे त्यारें दासी आवीने तेल पूरी जाय. ए रीतें पारखी रात्रि दीवो बल्यो त्यां सुधी राजायें कायोत्सर्ग पूरी न कस्यो. सूर्योदय थयो त्यारे का योत्सर्ग पूरो थयो याखी रात्र उनो रहेवाथी शरीर रुधिरें करी जराइ गयो, तेथी जेम पर्वत, शिखर त्रूटी पडे,तेम ते राजा नीचें नूमीयें पडी मरण पा म्यो. ते गुनध्याने करीने गुनगतिने पाम्यो. वास्ते सामायिक करनारा म नुष्योनां पातक दहन थइ जाय रे एम जाणवू ॥४७॥ . सामायिकं समतयारिमुहृत्सुसिध्यै, प्रयोतमुक्ति कृदायिनराजवतस्यात् ॥ सच्चंदनांशुकमिवास्फुट कुष्ठनाज, स्तत्कुर्वतः कंपटतोबहिरंगशुध्यै ॥४॥ अर्थः-(अरिसुहृत्सु के०) शत्रुमित्रोने विपे (समतया के०) समना व रूप (सामायिकं के०) सामायिक कयुं होय तो (सिक्ष्य के०) सिदिने मारे (स्यात् के०) होय. केनी पेठे तो के (प्रद्योतमुक्तिकत् के०) चंम्प्रद्यो तराजाने बंधनथी मूकनार एवा (नदायिनराजवत् के०) नदायिन राजा नी पेठे अने (कपटतः के०) कपटथकी सामायिक, (कुर्वतः के०) करनार ने (बहिरंगशुध्यै के०) बाहेरना अंगनी शुदिने माटे थाय . त्यां दृ ष्टांत कहे जे के जेम (अस्फुटकुष्टनाजः के० ) नथी बाहेर पड्यो कुष्टरो गनो विकार जेने एवा प्राणीने (सञ्चंदनांशुकमिव के० ) सारु चंदन चो पड, तेज अंगुक एटले वस्त्र, ते जेम लागे तेम ते सामायिक बाहिरना दोषोने मटाडे ने माटे तेवं सामायिक, सर्व जव्य जीवें जरुर करवू ॥४॥ हिं नदायिनराजानो दृष्टांत होवाथी तेनी कथा कहे . वीतनय पत्तनने विषे नदायिन राजा राज्य करे , तेनी पट्टराणी प्रनावती नामे हती, ते राजाना घरमां अत्यंत रूपवाली एवी सुवर्णगुलिका नामें दासी हती. ते निरंतर अतिशय नाव सहवर्तमान देवाधिदेवनी प्रतिमानु पूजन करती हती. एक दिवसे नजेणीना राजा चंप्रद्योतें प्रतिमास हित ते दासीनु हरण कयुं तेवातनी उदायिनराजाने खबर पडवाथी दश राजाने साथें जश्ने सडवा माटे उजेणीयें गयो, बेहु राजायें दारु ए यु६ कत्युं. तिहां उदायिनराजायें चंप्रद्योतने जीवतो पकडीने बंदी
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy