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________________ आलोक दृष्टि से वे भी अधिक सबल नहीं। 'दाहर' तो टैकनीक की दृष्टि से पूर्णतः असफल है। 'स्वप्न-भंग' और 'सिन्दूर की होली' भी दोषों से मुक्त नहीं। अभाव के कारण और समीक्षा भारतीय साहित्य में इस अभाव के अनेक कारण भी प्रस्तुत किये जाते हैं, जो प्रायः सभी समीक्षक अाज तक दोहराते चले आ रहे हैं। लगता है, किसी एक समीक्षक ने दो-चार कारण कल्पित कर डाले और पुरखों की सम्पत्ति के समान सभी परवर्ती समीक्षक उनका उत्तराधिकार भोगते चले श्रा रहे हैं। उन कारणों में 'अभाव' की वकालत भी की गई दिखाई देती है और गौरव का भाव भी प्रकट होता है । स्पष्ट है, यह अभाव अभी तक न समीक्षक की दृष्टि में साहित्य की निर्धनता है, न नाटककार की दृष्टि में गौरवहीनता। तब दुःखान्त नाटक-रचना की ओर ध्यान ही क्यों जाय ? ___ दुःखान्त नाटकों के अभाव के कारण प्रायः ये दिये जाते हैं.-१ भारतीय साहित्य में काव्य का प्रयोजन अलौकिक अानन्द माना गया है। मृत्यु, राजविप्लव, सत्पुरुषों की पीड़ा, करुणा श्रादि दिखाना वर्जित है। इस प्रकार के दृश्यों से सामाजिक लौकिकता अनुभव करेंगे और इससे नाटक के आनन्द में बाधा पड़ती है । २-नाटक आदि में करुणाजनक दृश्य और दुःखान्त जीवन देखकर हमारे मन में कृत्रिम करुणा उत्पन्न होगी । इससे हमारी स्वाभाविक या प्रकृति-प्रदान करुणा का ह्रास हो जायगा। हम अन्य लोगों को पीड़ित देखने के श्रादी हो जायंगे । हमारे मन में संवेदना जाग्रत नहीं होगी। ३.रात-दिन जीवन में हम पीड़ा और करुणा देखते हैं । नाटक में सुख को भूलना चाहते हैं । नाटक का उद्देश्य जनरंजन या अानन्द है, जैसा कि भरत के नाट्य-शास्त्र में नाटक की उत्पत्ति की कथा से प्रकट है । ४-जीवन के प्रति भारतीय दृष्टिकोण सुखमय है । वह इसे सुखमय देखना चाहता है। हमारे यहाँ, इसलिए जन्म-दिवस के उत्सव मनाए जाते हैं, मृत्यु-दिवस पर शोकसम्मेलन नहीं होते । ५-सत्पुरुषों पर कष्ट पड़ते देवकर हमें ईश्वरीय न्याय में सन्देह होने लगता है। कहीं ऐसा न हो कि इन दुःखान्त नाटकों को देखकर सामाजिक ईश्वर के अस्तित्व में ही आस्था न रखने लगे। 'श्रानन्दवाद' भारतीय जीवन का विशेष अंग है, इसमे सन्देह नहीं । जीवन-दर्शन के प्रभाव का परिणाम साहित्य में अवश्य मिलेगा। पहला, तीसरा, और चौथा कारण 'श्रानन्दवाद' के अन्तर्गत आ जाते हैं। इसका प्रभाव साहित्य के सभी क्षेत्रों में पड़ना अनिवार्य है । दुःखान्त नाटकों के प्रभाव का
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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