SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हरिकृष्ण ‘प्रेमी' १२५ राष्ट्र की प्रेरणा रहे हैं । शिवाजी द्वारा की गई शासन-व्यवस्था भी इतिहाससम्मत है । पर यदि महाकवि भूषण का सम्बन्ध भी शिवाजी से नाटक में दिखा दिया जाता तो लेखक की 'कवि-कल्पना की ऐतिहासिक देन' बड़ी महत्त्वपूर्ण हो जाती। 'मित्र' की प्रमुख घटना, जैसलमेर पर अलाउद्दीन की चढ़ाई, भी इतिहास की सचाई है। पर रत्नसिंह द्वारा अपने पुत्र गिरिसिंह का महबूब खाँ (दिल्ली का सेनापति-रत्नसिंह का मित्र ) को दिया जाना, जिससे वह सुरक्षित रहे, कहाँ तक इतिहास की बात है, कहना कठिन है। 'उद्धार' की कथा और चरित्र भी ऐतिहासिक हैं। हमीर की वीरता, चित्तौड़ का उद्धार राजस्थान के इतिहास की विख्यात घटना है। 'स्वप्न-भङ्ग' की कथा तथा चरित्र, कुछ को छोड़कर, पूर्व इतिहासप्रसिद्ध हैं। शाहजहाँ, औरङ्गजेब, दारा, नादिर, जसवन्तसिंह, जयसिंह, रोशनारा, जहाँबारा-सभी के चरित्र और व्यक्तित्व चिर-परिचित हैं । दारा और उसके पुत्र सिपर शिकोह का बध इतिहास की आँसू और वेदना में डूबी . घटनाएं हैं। छत्रसाल हाड़ा का दारा की ओर से युद्ध करते हुए मरना भी प्रसिद्ध है। रोशनारा का औरङ्गजेब के प्रति प्रेम प्रसिद्ध है ही। ये दोनों बहनें अपने भाइयों की प्रेरणा हैं। प्रेमी जी ने जिस इतिहास-युग को अपनी कथावस्तु का आधार बनाया है, वह न तो प्राचीन इतिहास के समान अलिखित और काल्पनिक ही है, और न धुंधला । मुस्लिम-काल का इतिहास अनेक लेखकों द्वारा लिखा गया है। अन्तर इतना हो सकता है कि किसी मुस्लिम शासक के किसी कार्य को एक लेखक एक रङ्ग में देखे, दूसरा अन्य रङ्ग में, पर घटनावली का जोड़-तोड़ या तोड़-मरोड़ नहीं पाया जायगा। इतिहास की आत्मा की रक्षा करते हुए भी प्रेमी जी ने अपनी कल्पना के उपयोग का अधिकार नहीं छोड़ा। इतिहास के कठोर और नीरस बन्धन उन्होंने प्रायः तोड़ दिए हैं । बन्धन तोड़ने की तीव्रता में एक दो आघात भी यदि इतिहास को लग गए हों, तो भी असम्भव नहीं । प्रेमी जी ने रस को सबल और व्यापक बनाने के लिए ही कल्पना से काम लिया है। इसका उपयोग नवीन अनैतिहासिक पात्रों तथा घटनाओं का निर्माण करने में किया गया है। रक्षा-बन्धन' के धनदास, मौजीराम, चारणी, माया, शाहशेख श्रौलिया ऐसे ही पात्र हैं । इन सभी पात्रों के चरित्रों और संवादों से इनके निर्माण का महत्त्व स्पष्ट हो जाता है । धनदास, मौजीराम, माया तो हास्य उत्पन्न करने के लिए और औलिया नैतिकता का उपदेश देने के लिए ही
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy