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________________ ज्ञान और कर्म । [ द्वितीय भाग ( १ ) | यह ईसाका प्रसिद्ध उपदेश है कि तुम दूसरे से जैसा व्यवहार पानेकी इच्छा रखते हो, वैसा ही व्यवहार दूसरेसे करना तुम्हारा कर्तव्य है ' ( २ ) । इस कथनका सारांश नीचे लिखे हुए आधे श्लोक में मौजूद हैआत्मवत् सर्वभूतेषु यः पश्यति स पण्डितः । 6 "" अर्थात् पण्डित वही है, जो सब प्राणियोंको अपने समान देखता है । ऊपरका मत एक प्रकारसे प्रवृत्तिवाद है । कारण, यह मत भी कर्तव्य. कर्मकी प्रवृत्तिसे प्रणोदित है । २०० - अतएव ऊपर कहे गये मत चार भागों में बाँटें जा सकते हैं । जैसे— प्रवृत्तिवाद, निवृत्तिवाद, सामञ्जस्यवाद और न्यायवाद । इस समय यह निरूपण करना है कि इन चारों प्रकारके मतों में कौनसा युक्तिसिद्ध है । पहलेके तीनों मत कर्तव्यताको कर्मका मौलिक गुण नहीं मानते, कर्मके अन्य गुणों द्वारा उसका निर्णय हो सकता है—ऐसा कहते हैं । न्यायवाद जो है वह कर्तव्यताको कर्मका एक मौलिक गुण मानता है । अतएव सबके पहले यही विचारणीय है कि कर्तव्यता कर्मका मौलिक गुण हैं, या अन्य किसी गुणका फल है | इस विचारके कार्य में न्यायवाद वादी है; सुखवाद और हितवाद इन दोनों श्रेणियों का प्रवृत्तिवाद, निवृत्तिवाद और सामञ्जस्यवाद ये तीन प्रतिवादी हैं; आत्मा प्रधान साक्षी है; अन्तर्जगत् और बहिर्जगत् के कुछ कार्यकलाप आनुषंगिक प्रमाण हैं, और बुद्धि ही विचारक है । पहले देखा जाय कि इस जगह आत्माकी गवाही कैसी है । साधारणतः कर्तव्यता और अकर्तव्यता अर्थात् न्याय और अन्यायका प्रभेद क्या बड़ेपन और छोटेपन या सफेदी और कालेपनके प्रभेदकी तरह मौलिक है, यह प्रश्न करते ही आत्मा स्पष्टरूपसे उत्तर देती है कि ' हाँ, वैसा ही मौलिक है' और यह बात किसी कूट- प्रश्नके द्वारा नहीं उड़ा दी जा सकती । अगर पूछा जाय कि न्याय-अन्यायका प्रभेद अगर बड़ेपन - छोटेपनके प्रभेदकी तरह मौलिक है, तो उसे निश्चित करना इतना कठिन क्यों हो उठता है, और उसके बारेमें इतना मतभेद क्यों देख पड़ता है ?, तो, इसका उत्तर यह है कि न्याय-अन्यायका प्रभेद निश्चित करना सर्वत्र कठिन नहीं है; हाँ, अनेक स्थलों में अवश्य कठिन ( 3 ) Adam Smith's Moral sentiments देखो । (२) Matthew VII, Page १२ देखो ।
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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