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________________ १०८ ज्ञान और कर्म। [प्रथम भाग सकता है । अगर देखा जाय कि कोई बालक पाठ नहीं याद रख सकता, तो यह अनुसंधान करना उचित है कि वह पढ़नेमें मन नहीं लगाता-इससे ऐसा होता है, या यथाशक्ति मन लगाकर भी वह कृतकार्य नहीं होता। अगर पहली बात हो, तो वह उपाय करना चाहिए जिससे पढ़नेमें उसका मन लगे। अगर दूसरी बात हो, तो संभवतः उसके मस्तिष्कके विकार या दुर्बलताको उसके पाठ भूलनेका कारण समझ कर, उसे दूर करनेके लिए यथायोग्य शारीरिक चिकित्सा और पुष्टिकर आहारकी व्यवस्था करना आवश्यक है। कोई कोई दर्शनशास्त्रको निष्फल समझते हैं । किन्तु “ मैं कौन हूँ? कहाँसे आया हूँ? जगत क्या है ? क्यों इसकी सृष्टि हुई? हमारे इस जगत्का परिणाम क्या है ? " इन सब प्रश्नोंका उत्तर हमारे ज्ञानकी सीमाके बाहर होनेपर भी, हम ये प्रश्न करनेसे नहीं रुकते। कमसे कम यहाँतक देखे बिना रुकना उचित भी नहीं है कि इन सब प्रश्नोंका उत्तर कहाँतक पाया जा सकता है, और कहाँ पर जाकर हमें निवृत्त होना होगा। बस, इसी कारण दर्शनशास्त्रोंकी चर्चा अवश्य ही होती रहेगी। बहिर्जगत्में जड़ और जीव दोनों हैं । स्थूल जडविज्ञान अर्थात् स्थूल जड़की गति और स्थिति विषयकी विद्याने गणितकी सहायतासे हमारे सौर जगत्के अनेक अद्भुत तत्त्वोंका निर्णय किया है। न्यूटनका माध्याकर्षणका आविष्कार और आदम्सका नेपचून ग्रहका आविष्कार इस विद्याका फल है । और, इस सौर जगत्को नाँघ कर समस्त ब्रह्माण्डके तारकापुञ्ज और नीहारिकापुंजकी गतिके निरूपणका उपाय सोच निकालेनेके उद्देशको लेकर यह विद्या उद्योग करनेमें उद्यत है। सूक्ष्म जड-विज्ञान अर्थात् ताप प्रकाश और विद्युतकी क्रियाका निर्णय करनेवाली विद्या, एक ओर संसारके अनेक साधारण कार्योंकी सुविधा कर रही है और सामान्य विषयमें हमारी कमीको दूर किये देती है, और दूसरी ओर जड़ पदार्थ क्या है, ताप बिजली आदि शक्तियाँ मूलमें एक हैं या विभिन्न हैं, इत्यादि दुज्ञेय तत्वोंके अनुसन्धान द्वारा हमारी ज्ञानपिपासाको मिटानेका यत्न कर रही है। जीवविज्ञान जो है वह जीवनी शक्ति क्या है, जीवकी उत्पत्ति वृद्धि और मृत्यु किस नियमके अधीन है, इत्यादि निगूढ तत्त्वोंका अनुसन्धान
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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