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________________ से होने लगे। भरत पानी उमाले जा रहा था। एक क्षण को भी साम नहीं ले रहा था। वह दोध की प्रति मूनि वने तूफान सडा कर रहा था। तभी · तभी बाहुबली ने भी अपने हाथ, पानी पर मारे। ज्यो ही पानी पर मुक्का मारा तो पानी सफडो धनुप ऊपर उछल गया। भागे गरजना सी हुई। कुछ क्षणो तक बाहदली पानी उघालते रहे तो भरन की अखि भरने लगी और भरत ने व्याकुलता का अनुभव किया। व्याकुल होना स्वाभाविक भी था । क्योकि कद में भरत छोटा और बानुबली बटा था । जव भरन पानी के छोटे मारते तो वह वाहबली के वक्षस्थल पर ही जाकर टिक जाते। किन्तु जब चाहुवली पानी की मार करता तो मरत के मुंह पर जाकर टिकता । मरत व्यय और भी व्याकुल होने लगा। वह बार-बार मुह छिपाने लगा। वाहवली के पक्ष वाले उछल पडे और जय वाहवली। जयबाहुबली ।। का नारा बुलन्द करने लगे । भरत की पक्ष वाले अब निराग से होने लगे। तभी ___ तभी भरत ने पीठ दिखादी । पानी की मार से एक दम मुह फेर लिया । भरत ने हार मान ली थी। निर्णायको ने बाहुबली की विजय घोति करदी। सारा भमण्डन नाच जा । सब शोर से भरत और बाहुवली के हार जीत की चर्चा चल रही थी। दोनो पानी मे वाहर पाए। सभी जनसमूह ने दोनो का स्वागत किया। कुछ समयान्तर पर दृष्टि युद्ध होने वाला था। एक विशाल भौर रमणीक मण्डप मे इस युद्ध की व्यवस्था की गई थी। मण्डप
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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