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________________ अट्टाहाम कर उठे। बोले 'फायर कही के । क्या तुमको मेरे पर विश्वास नही रहा ? स्था मुझे तुम सबने निर्बल समन लिया है ? यदि बाहुबली अपनी इतनी आन मान रखता है तो उसे इसका मजा चखाना ही चाहिए । मेरा निर्णय अटल है। जाम्रो व्यवस्था करायो।' ____ xxxx सर्वप्रथम 'ज्ल युद्ध होना तय हुआ । गहरे और स्वच्छ शीतल पानी से भने विशाल रमणीक कुण्ड में इस पद की व्यवन्या की गई थी। गेजन की नाप के विशाल विस्तृत क्षेत्र में निर्मित यह कृष्ण्ड प्रन्यन्न सुन्दर था। इसके किनारे पर बने छायादार विशाल कक्षो मे जन समूह-यद के दृश्य को देखने को उमड रहा था। मामा मच पर दोनो पक्ष के निर्णायक, सेनापति, उ अन्य अधिकारी गण निराजे हुए थे। तभी । ___ हाँको नभी विगुल बजा और उस विशाल कुण्ड मे-जमे को पहाड मार गि हो । वैसे ही दोनो भाई उतरे। शारीरिक बनावट की ष्टि मनरल ठिगने और छोटे थे-पर बाहुबली विगा गय लाने और ऊचे पुरुप थे। भरत ने जल युद्ध वो प्रारम्म परत हुए पानी को वाहनी को और उजालना शुरु कर दिया। भरत जो पानी डालता तो ऐसा ज्ञान होना जैसे समुद्र में दृतान प्रा गया हो। उन समूह 'ज्य भरत' 'जय भरत' कोल ॐ। बाहुबली पत्राा परे । पानी में मार पय ने मदन कर -थे। वाली से पाये जन गारो भी गाली पो पाती माता -और नागा उनमा गरिएकाको पायर में बने पदमा दा भली पन वाले उदात्र
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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