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________________ ( ११७ ) सेनाओ मे रण भेरी बज उठी। दोनो मोर की सेना तनी हुई, फुकारें मार रही थी। अपने अपने स्वामी की आज्ञा सुनने को प्रत्येक क्षण मजग थी। ' भरत जी के मन्त्री भी समझदार थे तो वाहह्वली जी के मन्त्री भी। दोनों ने सेना की कार, सेना का जोश, देखा। और विचार मन्न हो गए। अपने अपने स्वामी की आज्ञा लेकर दोनो प्रोर के मंगियो ने रण छिड़ने से पूर्व एक सुझाव सम्मेलन किया इस सम्मेलन मे उपस्थित रहे। आपसी वार्तालाप हुआ । अन्त मे एक तथ्य का निर्णय क्यिा जिसका विवरण इस प्रकार है." ___ "क्योकि भरत और बाहुबली दोनो भाई भाई है, दोनो की ही सेना विशाल और विजय की प्राशा से भरी हुई है । अत ऐसा जान पड रहा है कि युद्ध जम कर होगा। तब अनेको नारियां विधवा हो जाऐगी, अनेको वच्चे अनाथ हो जाएगे, अनेक माताएँ अपने पुत्र खोदेगी और हिंसा का ताण्डव नृत्य हो उठेगा। वीरता मे, विचारो मे, शौर्य मे दोनो भाई एक दूसरे से न्यून भी नहीं है । इनका ग्रापसी मतभेद मात्र है यह राजनीतिक तथ्य भी विशेष नहीं । तब क्यो नहीं इन दोनो भाइयो पर ही जय विजय का निर्णय छोड दिया जाय ? ___ अत यह सुझाव निर्णीत हुआ कि सेना न लडे, हिंसा न हो, अपितु दोनो भाई द्वन्द युद्ध द्वारा अपनी जय विजय का निर्णय करते । द्वन्द्व युद्ध में तीन बाते होगी अर्थात् द्वन्द्व युद्ध तीन प्रकार से होगा (१) जल युद्ध । (२) मल्ल युद्ध । (३) दृष्टि युद्ध । मर्थात् वे दोनो जल में घुसकर युद्ध करेंगे और एक दूसरे
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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