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________________ को परास्त करेंगे। वे दोनो व्यापम मे कुन्ती लडेगे और एक दूसरे को चित्त करेंगे। वे दोनो प्रापन भेदृष्टि मिलाएंगे योर एक दूसरे की दष्टि को डगमगाने का प्रयास करेंगे। इस प्रकार तीनो युद्ध मे जिसकी विजय हो जाएगी वही विजयी कहलाएगा।' यह सुझाव पान कर-मन्त्रियो ने दोनो भाइयो के पात अलग अलग से भेजा और सम्मति पाही । दोनो ने इस सुझाव पर गहनता से विचार किया । बाहुवलो ने यह कहकर वह मुभाव पत्र वापिस कर दिया कि पहले भरत ही इसको स्वीकृति प्रदान करे। क्योकि प्रथम प्रवनर मैं उसे ही देना चाहता हूँ। सुझाव पत्र भरत जी के पास ले जाया गया । भरत जी ने उसे बार बार पता और विचार किया --" सुझाव है तो ठीक । पावली मुझसे तीनो युद्धो में मात खा जायगा - नवसे बडी मात तो मेरा चक्र ही देदेगा। . सोचकर भरत ने स्वीकृति प्रदान कर दी। भरत की स्वीकृति मिल जाने पर बाहुबली ने बिना दलील के स्वीकृति दे दी। और अब दोनो ओर की सेनायो को युद्ध न करने का आदेश दिया गया। सेना चौक सी गई । पोदनपुर का नागरिक चोक उठा। स्यो? स्यो क्या बात हुई ' युद्ध क्यो नही हो रहा है ? क्या बाहुदली जी ने प्राधीनता स्वीकार कर ली ? .. • पर बाहुबली जी ऐसा कभी नही कर सकते । वे पराधीनता की जजीर कभी भी अपने राज्य के गले मे नहीं डाल सकते । तो . •तो .फिर." बात क्या हुई ? ...."प्रत्येक कोने से अनेक चर्चा मुखरित हो उठी। तभी दिगुल बजा । चर्चाए शान्त हो गई। हाथी पर बैठे एक हलकार ने सूचना पढ़ी।
SR No.010160
Book TitleBhagavana Adinath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasant Jain Shastri
PublisherAnil Pocket Books
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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