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________________ (कि सार्वेस समयको ई० पू दूसरी शतीके मा का मानना समुचित नहीं है, डॉ० हेमचन्द्र जी चौधरी ** डॉ० दिनेशचन्द्र सरकार " डॉ० वस्थी で नरेन्द्रनाथ घोष" प्रादिने ई०पू० पहली शतीके शेषार्द्धको हो खालका प्रकृत समय माना है। NAW 1 हाथी गुफा शिलालेखों से हमें कुछ शासकों के नाम प्राप्त होते हैं । उनका समय निर्णित हो जाएं तो कुछ हद तक यह " समस्याभी हल हो जावेगी । अतः यहीं पर कुछ समसामयिक arrant का निर्णय किया जाता I Ab अपने राजत्वकाल के दूसरे हो बर्षमें खारवेल ने राजा कर्णका कोई भय न मानकर पश्चिम दिशाको घोर सैन्यदल भेजा था । यह सातकर्ण अवश्य ही बान्ध्र सातवाहन वशके राजा होगे । नाना॒घाटं शिलालेखसे हमें ज्ञात होता है कि वे aretters स्वामी थे ! * 1 1. डा० रायचौधरीके मतसे तथा अन्य पौराणिक वर्णनों द्वारा ज्ञात होता है कि सुग राजाओंने चन्द्रगुप्त मौर्यके सिहासनारोहण के १३७ वर्षके बाद ११२ वर्ष तक राजत्व किया था और सगवश के अन्तिम राजा देवभूतिकी हत्याकर उनके अमात्य वासुदेवने काण्वायन वंशकी स्थापना करके मगध पर afaकार किया था । फिर ४५ वर्ष के बाद काण्वायन वंश के अन्तिम राजा सुशर्मणको सिमूकने राजगद्दी से हटाया था । सिमुकसे मान्ध्र सातवाहन वंशका प्रारंभ हुआ । इन पौराणिक कथानों के अध्ययनसें डा० रायचौधरी ने निर्धारित किया है 10. Ibid; 11. Age of Imperial Phity 215 ft + 12. Old Brahmi Insoriptions 1917, 253ff 13. Early History of India, 1948, 180-199. 14. Indian Antiquary, Vol. XLVII (1916) 403 ff -४२
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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