SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४. खारवेल और उनका कालनिर्णय खारवेल उत्कल तथा भारतीय इतिहास की एक अविस्मरणीय विभूति हैं । उनके जीवन की प्रमुख घटनाएँ "हाथी गुंफा" के शिलालेखो में प्रशस्त रूपसे लिपिवद्ध पायी जाती हैं । परन्तु उनका 'कालनिर्णय" तो भारतीय इतिहासकारों के लिए एक कठिनाईका विषय और प्रधान समालोचना की वस्तु बन गया है । भारतीय इतिहास में यह "कालनिर्णय " तरह तरह के विभ्रमो की सृष्टि करता है । इसलिए इस समस्याके समाधन के लिए साहित्य अथवा किम्बदतियों से मच्छे अच्छे विषय संग्रह करना हमारी घृष्टता नहीं समझी जाना चाहिये क्योकि सावधानताके साथ साहित्य तथा किम्बदन्तियों या लोककथान से श्रावश्यकीय विषय वस्तु ग्रहण की जासकती है। निस्सदेह बहुत दिनोसे "खारवेल का समय निर्धारण" इतिहासकारों के लिए एक विवादग्रस्त विषय बना हुआ है । किंतु इस प्रसंग में ध्यान देने योग्य बात यह है कि उडीसाके पुरीजिले के कुमारगिरि ( पहाड़ ) की शिलालिपियों से हमें खारवेलका प्रमाणिक परिचय मिलाता है। उन शिलालिपियों में क्रमशः उनके ११वर्षो तक शासन करने की इतिवृति मक्कित है । उसमें उनको अधिपति एव उनकी रानीको “अग्रमहिषी" के रूपसे अभिहित किया गया है। इस ग्रमहिषी द्वारा निर्मित 'स्वर्गपुरी' नामको गुफावाले लेखमें खारवेल को 'चक्रवर्ती' के नाम से संबोधित किया गया है । पर खारवेल के पूर्व पुरुषोंके बारेमें -११
SR No.010143
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Shah
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1959
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy