SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४ २१ बेल्देवं बरेदं २३ रि ॥ जैन शिलालेख - संग्रह २२ इलवेडे मल्लाचा [ इस लेखमे ( गंग राजा ) एरेयके समय एलाचार्य के समाधिमरणका तथा उनके शिष्य कल्नेले देव द्वारा उनकी निसिधिकी स्थापनाका उल्लेख है । गोम्मटदेवको स्थावरतीर्थ तथा कल्नेलेदेवको जंगमतीर्थ कहकर उनकी प्रशंसा की है । लेख १०वीं सदीके प्रारम्भका शक ८४७ [ ७६ । ] [ ए०रि० मैं० १९९४ पृ० ३८ ] ७७ बदलिके (मैसूर) शक ८२४ = सन् १०२, कन्नड [ यह लेख राष्ट्रकूट राजा कृष्ण २ अकालवर्षके समयका है । महासामन्त बकेयर सके पुत्र लोकटेयरसके अधीन पेगंडे बिट्टय्य-द्वारा शक ८२४ में बन्दणिमें एक बसदिके निर्माणका इसमे उल्लेख है । लोकटेयरसने इस बसदि के लिए नागर खण्ड ७० विभागका दण्डिपल्लि ग्राम बिट्टय्यको दान दिया था । ] ७८ [ ए०रि० मैं ० १९११ पृ० ३८ ] असुण्डि (मैसूर) सन् ९२५, कन्नड [ यह लेख राष्ट्रकूट सम्राट् गोविन्द ( चतुर्थ ) नित्यवर्ष के समय शक ८४७, पार्थिव संवत्सरमें लिखा गया था। इसमें नागय्य द्वारा एक जिनालयका निर्माण तथा उसके लिए कुछ भूमिदान किये जानेका उल्लेख है । यह दान बंकापुरके घोरजिनालय के प्रमुख चन्द्रप्रभ भटारके शासनकालमे दिया गया था । ] ( मूल कन्नड मे मुद्रित ) [ सा० इ० इ० ११ पृ० २० ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy