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________________ १ . [.. जैनशिलालेख-संग्रह ७० कीरप्पाक्कम् ( चिंगलपेट, मद्रास ) __ ९वीं सदी, तमिल [इस लेखमे कीरैपाक्कमके उत्तरमें देशवल्लभ जिनालयका उल्लेख है। इसका निर्माण यापनीय संघ कुमिलिगणके महावीरगरुके शिष्य अमरमुदलगुरु-द्वारा किया गया था। लिपि ९वी सदीकी है। ] [रि० सा० ए० १९३४-३५ क्र० २२ पृ० १० ] बेगूर ( बंगलोर, मैसूर ) ९वीं सदा, काट [ इस निसिधिलेखमे मोन भट्टारके शिष्य...न्दिभटारके समाधिमरणका उल्लेख है । लिपि ९वीं सदीकी है। यह लेख नागेश्वर मन्दिरमे लगा है। [ए० रि० मै० १९१५ पृ० ४६ ] ७२ बेलगाँव ( मैसूर) ९वीं-१०वीं सदी, कमर [ यह लेख नेमिनाथमूर्तिके पादपीठपर है। इस मूर्तिकी स्थापना 'राष्ट्रकूट वंशरूपी समुद्रके लिए चन्द्रके समान' मणिचन्द्रके गुरु नेमिनाथ ( नेमिचन्द्र ? ) द्वारा की गयी थी।] [रि० आ० स० १९२८-२९ पृ० १२५ ] अलगरमलै ( मदुरा, मद्रास ) वहेलुत्त लिपि-९वी-१०वीं सदी [ यह लेख एक जिनमूर्तिके समीप खुदा है ] ( मूल-) १ श्री अच्चणं - २ दि शेयल
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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