SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६ जैन शिलालेख संग्रह G कुडलूर ( मैसूर ) कन्नड, ८वीं सदी श्रीमंतोरेय तडिय तोष्टडोल तम्म मागमं देवर्ग कोहर् अय्यप्प राउर पक्कदोष्ट कोण्डु तोरेय तडिय तम्म मागद तोण्टमं मूडणबसदिगे कोहर रणपाकरपर् आले कोण्डु तोहर् | [ 20 [ इस लेखमे रणपाकरसके राज्यकालमे श्रीयम्म तथा अय्यप्प-द्वारा किसी नदीतीरपर स्थित पूर्वीयबसदिके लिए कुछ उद्यान आदिके दानका उल्लेख है । लिपि ८वीं सदीकी प्रतीत होती है । ] [ ए० २ि० मै० १९०९ पृ० १४ ] ४८ नरसिंहराजपुर (मैसूर) संस्कृत - कन्नड, ८वी - ९वीं सदी [ यह ताम्रपत्र गंग राजा श्रीपुरुष द्वारा दिया गया था । इस राजा के 'अनुकूलवर्ती' पसिण्डि गंग कुलके नागवर्मा तथा कदम्बकुलके तुलुअडिने तगरे प्रदेशके तोल्लग्राममे स्थित चैत्यालयके लिए मल्लवल्लि ग्राम दान दिया था । इसी प्रकार कोशिक वंशके मणलि मनेओडेयोन्ने कुछ भूमि दान थी । इसी ताम्रपत्रके अन्तिम भागमे गंग राजा शिवमारके राज्यमे सिन्दनाडु ८००० के शासक विट्टरस द्वारा तोल्लरके चैत्यके लिए करिमानी ग्रामके दानका भी उल्लेख है । तदनन्तर इसी चैत्यके लिए राजा शिवमार के मामा विजयशक्ति अरसद्वारा ६ खंडुगभूमिके दानका उल्लेख है । ] [ ए०रि० मे० १९२० पृ० २७ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy