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________________ ३६४ जैनशिलालेख-संग्रह ५६४ मुल्कि ( दक्षिण कनडा, मैसूर ) [जैन बसदिके आगे मानस्तम्भकी दक्षिण बाजूपर । इसमें तीर्थकरोंकी प्रशंसामें पांच श्लोक लिखे गये है।] ( इ० म० दक्षिण कनडा ९३ ) मद्रास ( म्यूजियम) कन्नड [यह लेख शान्तिनाथको मूर्तिके पादपीठपर है। महाप्रधान ब्रहदेवणद्वारा स्थापित किये हुए येरग जिनालयमें यह मूर्ति थी। मूलसंघ, कुण्डकुन्दान्वय, काणूरगण, तिन्त्रिणि गच्छके महामण्डलाचार्य सकलभद्र भट्टारक ब्रहदेवणके गुरु थे।] (इ० म० मद्रास ३२४ ) मद्रास ( म्युजियम ) कन्नड व संस्कृत [ इस लेखमे साहित्यप्रिय साल्व-राजा द्वारा शास्त्रोक्त रीतिसे शान्तिनाथकी मूतिके निर्माणका तथा स्थापनाका निर्देश है। ] ( इ० म० मद्रास ३२५ )
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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