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________________ -५६३] यलवट्टि आदिके लेल ५६०-५६१ यलवट्टि ( जि. धारवाड, मैसूर ) [ यहाँ दो लेख है । एकमें मूलसंध-देशीयगणके सकलचन्द्रदेवके गृहस्थ शिष्य सेनबोव केतय्यको मृत्युका उल्लेख है। इसकी तिथि मार्गशिर शु० ८ शुक्रवार, आनन्द संवत्सर ऐसी दी है। दूसरे लेखमें मूलसंघ-देशीगण-पोस्तक गच्छ - कोण्डकुन्दान्वयके देवकोति भट्टारकके एक शिष्यकी मृत्युका उल्लेख है। इसकी तिथि श्रावण कृ. ९ रविवार, साधारण संवत्सर ऐसी है।] (रि० सा० ए० १९४४-४५ एफ् ६०-६१) शाबल (जि. धारवाड, सैसूर ) [ इस लेखमे देशीयगणके बालचन्द्र विद्यदेवके एक गृहस्थ शिष्यको मृत्युका उल्लेख है। मार्गशिर कृ० ३, व्यय संवत्सर ऐसी तिथि दी है।] (रि० सा० ए० १९४४-४५ एफ् ५४) ५६३ दानबुलपाडु (जि० कडप्पा, आन्ध्र ) काड [ इस लेखमे कनककोतिदेवके शिष्यकी - जो पेनुगोण्डका एक व्यापारी था - निसिधिका उल्लेख है।] (इ० म० कडप्पा १४९)
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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