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________________ -५२७ ] मैसूरके लेख ५२४ मैसूर शान्तीश्वर बसतिमें दीपस्तम्भोंपर [ इस लेखमे चामराजकी रानी देवीरम्मण्णि-द्वारा उक्त दीपस्तम्भ शान्तीश्वर बसतिको अर्पित किये जानेका उल्लेख है। ये चामराज मैसूरके राजा चामराज वोडेयर ( नवम ) ( सन् १७७६-९६ ) होंगे।] [ मूल लेख कन्नड लिपिमें मुद्रित ] [ए० रि० मै० १९३६ पृ० १०२] ५२५ मैसूर कसड उपर्युक्त बसतिमें चार कलशोंपर [ इस लेखमे उपर्युक्त रानी देवीरम्मण्णि-द्वारा शान्तिनाथके अभिषेकके लिए इन चार कलशोंके दानका निर्देश है। ] [ मूल लेख कन्नड लिपिम मुद्रित ] [ ए० रि० म० १९३६ पृ. १०२] ५२६-५२७ नरसिंहराजपुर ( मैसूर ) सन् १७७८-७१, काट [ यहाँके दो लेख सन् १७७८ तथा १७७६ के हैं। पहलेमें वियंग बरमैयके पुत्र नागप्प-जो काम्बोदि वैश्य था तथा निषंडेवृक्षसंघका था -
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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