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________________ ३४८ जैनशिलालेख संग्रह [५२१ ५२१ बालूर ( धारवाड, मैसूर ) शक १(६) ८५- सन् १७६३, कमड [ जैन मन्दिरके सन्मुख दीपमाला स्तम्भपर यह लेख है । देवण्ण और उसके पुत्रोंका इसमें उल्लेख है । तिथि कार्तिक शु. १०, सोमवार, विक्रम, शक १६८५ ऐसी दी है । ] [रि. इ. ए. १९४५-४६ क्र. २१३ ] ५२२ तिलिवल्लि ( धारवाड, मैसूर) १८वीं सदी, काड [ इस निसिधि लेखमें वैशाख शु. ५ सोमवार, स्वर्भानु संवत्सरके दिन पुजारी पेवय्यके समाधिमरणका उल्लेख है। ] [रि. इ. ए. १९४५-४६ क्र. २५३ ] ५२३ काकन ( जि० मोघोर, बिहार ) संवत् १८२२=सन् १७६६, संस्कृत - नागरी जैन मन्दिरमें चरणपादुकाओंके चारों ओर [ इस लेखमें काकन्दीके जैन संघ-द्वारा संवत् १८२२ वैशाख शु० ६ को जैन मन्दिरके जीर्णोद्धारका तथा सुविधिनाथके चरणोंकी स्थापनाका उल्लेख है।] [रि० इ० ए० १९५०-५१ ० ३ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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