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________________ टोडा रायसिंह आदिके लेख टोडारायसिंह (जयपुर, राजस्थान ) संवत् १७१८=सन् १६६२, संस्कृत-नागरी [ इस लेखमें अम्बावतीके कछवाह वंशके राजा जयसिंहके मन्त्री मोहनदास-द्वारा विमलनाथ मन्दिरके निर्माणका वर्णन है । तिथि फाल्गुन व० १०, बुधवार, संवत् १७१८ ऐसी दी है। उस समय मुग़ल बादशाह शाहजहाँका राज्य चल रहा था।] [रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र० ४१४ पृ० ६९] ५१३ श्रीरंगपट्टम् ( मैसूर ) सन् १६६६, काड [ यहाँके आदीश्वरमन्दिर में सन् १६६६ का एक लेख है। इसमें चारुकीति पण्डिताचार्यके शिष्य पायण्ण-द्वारा अष्टाह्निकामहोत्सवके लिए कुछ दान दिये जानेका उल्लेख है।] [ए० रि० म० १९१२ पृ० ५६ ] मुलगुन्द (धारवाड, मैसूर ) शक १५९७ = सन् १६७५, कन्नड [ यह लेख भाद्रपद व० ५, रविवार, शक १५९७ राक्षस संवत्सरका है। इसमे नागभूपको पत्नी बनदाम्बिके द्वारा अहंत आदिनाथकी मूर्तिकी पुनः स्थापनाका वर्णन है। यह मूर्ति मुसलमानों द्वारा भ्रष्ट की गयी थी। [रि० सा० ए० १९२६-२७ ३० ई ९३ पृ०८]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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