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________________ ३४२ जैनशिलालेख-संग्रह दास-द्वारा मालवदेशस्थित शिवपुरी ग्राममें एक जिनमूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है। प्रथम लेखकी तिथि वैशाख शु० ३, शक १५६८, संवत् १७०३ ऐसी दी है ।] [रि० इ० ए० १९५४-५५ क्र० २५०-५२ पृ० ४८-४९ ] सोदा ( उत्तर कनडा, मैसूर ) शक १५७७ =सन् १६५५, काड ५ स्वस्ति (i) श्रीजयाभ्यु(द)य शालिवाहनसकवर्ष) २१५७७ जय संवत्सर)द कार्तिक सुध्ध दशमि ३ सूर्यो)दयवाद यरडने घलिगेय४ ल्लि देसि श्रीमद् रायराजगुरु मंड५ लाचार्यरु महावादवादीश्वर रा६ यवादिपितामह सकलविद्वज्जनच७ (क) वर्तिग(लु) बहलालरायजीवरक्षापा८ लकरमप्प श्रीमद् मट्टाकलंकजीय्य(दे). है वरु १० (श्री)पंचगुरुचरणस्मर(णेयिंद) ११ चतुसंघ(समक्ष) दल्लि स्व१२ गंवनैदिदरु () इं१३ ती श्री श्री श्री (ii) [ इस लेखमें देसिगणके श्रीमद् भट्टाकलंकदेवके स्वर्गवासका निर्देश है जो कार्तिक शु० १० शक १५७७ के दिन हुआ था। उनको समाधि पर यह लेख है। ] [ए० इ० २८ पृ० २९२ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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