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________________ ३४० मैनशिलालेख-संग्रह ५०५ कलकत्ता ( नाहर म्युजियम ) शक १५४८ %-सन् १६२६, कन्नड १ सक १५४८ श्रीमूलसंघ भट्टारक २ श्रीधर्मचंद्रोपदेशात् प्रणम ३ श्रीमतिवीर [ यह लेख पोतलकी चौबीसतीर्थकरमूर्तिके पादपीठ पर है । मूलसंघके धर्मचन्द्र भट्टारकके उपदेशसे श्रीमतिवीर-द्वारा इस प्रतिमाकी स्थापना शक १५४८ मे की गयी थी । लिपिसे पता चलता है कि यह मूर्ति कर्नाटकमें निर्मित है।] [ए० रि० मै० १९४१ पृ० २४९ ] __ कोलारस ( शिवपुरी, मध्यप्रदेश ) संवत् १६८४ = सन् १६२८, हिन्दी-नागरी [ इस लेख में शाहजहाँके अधीन शासक अमरसिंहके समयमे एक जैन चैत्यालयके जीर्णोद्धारका उल्लेख है । तिथि आषाढ़ शु० ९, गुरुवार, संवत् १६०॥८४ इस प्रकार दी है। ] [रि० इ० ए० १९५४-५५ क्र० २४१ पृ० ४८ ] ५०७ मूडबिदुरे ( मैसूर ) शक १५५४ =सन् १९३२, काड [ इस ताम्रपत्रमें उल्लेख है कि बिदुरेके दो विभाग बेट्टकेरी तथा मारलंगडिकेरीमै रहनेवाले श्रावक पहले दीवालीका त्योहार मनाते वक्त
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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