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________________ -४४९] हुमचका लेख हुमच ( मैसूर) १५वीं सदी, कन्नड , श्रीमत्परमगंमीस्था- २ द्वादामोघलांछनं ३ जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शा. ४ सनं जिनशासनं ५ विरोधिकृत् संवत्सरद आश्वी. ६ ज बहुल दसमि सोमवा७ रदलु । श्री मदायराज- गुरु मंडलाचार्यरुं १ महावादवादीश्वर रा- १० यवादिपितामह सकल" विद्वजनचक्रवर्तिगहुँ श्रीम- १२ द्वादोंद्रविशालकीर्तिम१३ -स्वरकुलकमलमातंडाँ १४ श्रीमदमरकातियतीश्वरप्रि१५ याप्रशिष्यहं मूलसंघ ब- १६ लात्कारगणाग्रगण्यरुमप्प १७ श्रीधर्मभूषण महारकदे- १८ वर प्रियगुड्ड श्रीमदम१९ रेंद्रवंदितजिनेंद्रपादार- २० विंदमधुकरचें चतुर्विधदा२१ नचिंतामणियुं खंडस्फुटि- २२ तजीर्ण जिनालयोद्धारकनुम २३ पविटिसेट्टिय मग चोकिसटि-२४ व निसिधि ॥ [ इस लेखमें बिटिसेट्टिके पुत्र चोकिसेट्टिके समाधिमरणका उल्लेख है जो आश्विन २०१० सोमवार, विरोधकृत् संवत्सरके दिन हुआ था। चोकिसेट्रिके गुरु धर्मभूषण भट्टारक थे जो मूलसंघ-बलात्कारगणके अमर. कीति यतीश्वरके शिष्य थे। लिपि १५वीं सदीकी है।] [ए. रि० म० १९६४ पृ० १७५ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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