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________________ २९२ जैनशिलालेख-संग्रह ४१० मत्तावार ( मैसूर) १वीं सदी, काड , महलजिन जकबेहहि घटवे२ गन्ति मत्तवूर बसदि तपसु ३ माडि सिद्धि आदल अबेय मा४ चरन मग मार कल्ल निलिसि [यह निषिधिलेख मरुलजिन-जकवेहट्टि नामक प्रामकी निवासी चटवेगन्तिके समाधिमरणका स्मारक है । उसका मृत्यु मत्तवूरको बसदिमे हुआ था । अबेय माचरके पुत्र मारने यह स्मारक स्थापित किया था। लेखको लिपि १४वीं सदीको प्रतीत होती है। ] [ ए० रि० मै० ९९३२ पृ० १७१ ] ४११ हुलेकल ( उत्तर कनडा, मंसूर ) १५वीं सदी, कार [ यह लेख १४वीं सदीकी लिपिमें है और बहुत घिसा है। इसके प्रारम्भमें जिनशासनको प्रशंसा है तथा बादमे किसी मठमें आहारदान आदिके लिए कुछ दान दिये जानेका उल्लेख है । ] [रि० सा० ए० १९३९-४० ई० क्र० २१ पृ० २२९ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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