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________________ २६६ ● बैन शिलालेख संग्रह ३६१-३६७ विप्यगिरि ( जि० बेल्लारी, मैसूर ) १३वीं सदी, कड [ ये छह लेख हैं । मूलसंघ-देशीयगण - कोण्डकुन्दान्वय-पोस्तकमच्छ के haiदि भटारके शिष्योंके समाधिमरणका इनमें उल्लेख है । इन शिष्योंके नाम हैं—गोपरस, तथा उसकी पत्नी हालौवे, मादलदेवी, तिप्पयकी पत्नी जाकवे, नागलदेवी, मूलिग तिप्पय, बैतलेय बोम्मिसेट्टि तथा उसकी पत्नी and | लिपिके अनुसार ये लेख १३वीं सदी के प्रतीत होते हैं। इसी समयके एक और लेखमें माघवचंद्र भट्टारकदेवके शिष्य परिसयके समाधिमरणका उल्लेख है । ] 1 [ ३६१ (रि० स० ए० १९४४-४५ ई ६३-७२ ) ३६८ अदरगुचि ( जि० धारवाड, मैसूर ) १३वीं सदी, कन्नड [ यह लेख लिपिपर-से १३वीं सदीका प्रतीत होता है । यापनीय संघ - काडूरगणकी एक बसदिके लिए दी हुई जमीनकी सीमा बतलानेवाला यह पत्थर है । यह वसदि उच्छंगि नगरमें थी । यह दान अदिर्गुण्टेके गौण्ड और स्थानिकों द्वारा दिया गया था । ] ( रि० स० ए० १९४१-४२ ई० क्र० ३ पृ० २५५ ) ३६६ बसवपट्टण ( हासन, मैसूर ) १३वीं सदी कन्नड १ श्रीमूल संघ देसियगण पोस्तकगच्छ २ कोंडकुंदान्वयद इंगलेश्वरद ब
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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