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________________ कश्मेश्वर आदिके लेख ३४८ लक्ष्मेश्वर (मैसूर) शक १२१७ = सन् १२१५, संस्कृत-कवड [ इस लेखमें पुरिकरके शान्तिनाथ मन्दिरके लिए सोमय-द्वारा कुछ भूमि दान दिये जानेका उल्लेख है । तिथि भाद्रपद शु० ५, सोमवार, शक १२१७ ऐसी दी है । ] [ रि० स० ए० १९३५-३६ क्र० ई २८ पृ० १६३ ] - ३६० ] २६५ ३५६ मनेर मसलवाड ( बेल्लारी, मैसूर ) शक १२१९ = सन् १२९७, कन्नड [ यह लेख यादव राजा रामचन्द्रदेव के समय मार्गशिर शु० ५ गुरुवार शक १२१९ हेमलम्बि संवत्सरका है । इसमें महामण्डलेश्वर भैरवदेवरस - द्वारा मूलसंघ - देसिगण नेमिचन्द्र राउलके शिष्य विनयचन्द्रदेवको भूमि दान दिये जानेका उल्लेख है । यह दान भोसलेवाडके जिनमन्दिर के लिए था जिसका जीर्णोद्धार महामण्डलेश्वर सालेवेय तिकमदेव राणेयके मन्त्री सावन्त fuses पुत्र केशव पण्डित द्वारा किया गया था । ] [रि० स० ए० १९१८-१९ क्र० २५६ पृ० २२ ] ३६० कोलि (बेल्लारी, मैसूर ) १३वीं सदी, कन्नड [ इस लेखमें होयसल राजा प्रतापचक्रवति रामनाथदेव - द्वारा युव कोगलिके चेनपार्श्वजिनमन्दिरके लिए सुवर्णदान देनेका संवत्सर मे उल्लेख है । ] [ इ० म० बेल्लारी १९२ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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