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________________ २१४ जैनशिलालेख-संग्रह पोन्नूर ( उ० अर्काट, मद्रास) राज्यवर्ष = सन् १२९०, तमिल [ यह लेख स्थानीय जैन मन्दिरमे है। मारवर्मन् विक्रमपाण्डयके राज्यवर्ष ७ में विडालपरके नाट्टवर् ( ग्रामप्रमुखों )-द्वारा आदिनाथके पल्लिविलागम्में रहनेवाले लोगोंसे प्राप्त करोंका उत्पन्न इस जिनमन्दिरमें पूजा आदिके लिए अर्पण किए जानेका इसमे उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९२८-२९ क्र० ४१५ पृ० ४० ] हुमच ( मैसूर ) शक १२१७% सन् १२९५, कमर १ श्रीमत्परमगंभीरस्याद्वादामोघलांछ२ नं जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशास३ नं स्वस्ति श्रीमतु सकवर्ष १२१७ नेय मनु४ मथसंवत्सरद चैत्र सु पाडिव बृहस्प५ तिवारदंदु श्रीमसिद्धान्तयोगी६ द्रपादपंकजभ्रमर बम्मगवुड म७हापुरुषो 'गतो सिद्धिं समाधिना। ८ नमनार्ण "गुणसेनमुनिश्वरं ९ . द्राविडान्वय १. मौलिना [ इस निसिधिलेखमें श्रीमत् सिद्धान्त योगीन्द्रके शिष्य बम्मगवुडके समाधिमरणका उल्लेख है जो चैत्र शु० १, बृहस्पतिवार, शक १२१७ मन्मथसंवत्सरके दिन हुआ था। लेखके अन्तमें द्राविड अन्वयके गुणसेन मुनीश्वरका नाम भी आता है।] [ए. रि० मै० १९३४ पृ० १७७ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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