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________________ -२५५] ताडकोड भादिके केस ३५२-३५३ ताडकोड (धारवाड, मैसूर) राज्यवर्ष १४ - सन् १२८५, कार [ यह लेख यादव राजा रामचन्द्रके राज्यवर्ष १४, चित्रभानु संवत्सरका है। इस समय कन्नरदेवकी रानीकी आज्ञासे सर्वाधिकारी मायदेवने एक जिनमन्दिर बनवाया था। यहींके अन्य लेखमें चन्द्रनाथको नमस्कार कर बालचन्द्रके शिष्य श्रीवासुपूज्यका उल्लेख किया है । ] [रि० सा० ए० १९२५-२६ क्र० ४४४-४४५ पृ० ७६ ] कलकेरी ( मैसूर ) राज्यवर्ष १८-सन् १२८९, कन्नड [ यह लेख यादव राजा रामदेवके राज्यवर्ष १८ में पौष शु० ८, वड्डवार, (सर्व)धारि संवत्सरके दिन लिखा गया था। इसमें नागेयिसेट्रि और मादग्वेके पुत्र मादैय्यके समाधिमरणका उल्लेख है। इनके गुरु समन्तभद्रदेव थे।] [रि० सा० ए० १९३५-३६ क्र० ई० ७२ पृ० १६७ ] डम्बल (जि. धारवाड, मैसूर ) शक १.११%सन् १२९०, कन्नर [ यह लेख रामदेव ( यादव ) के समयका है। धर्मवोललके महानाड़के १६ प्रतिनिधि तथा नाडुके ८ प्रतिनिधि एवं साल्ववीर चवुण्डके छोटे बन्धु सप्तरस-द्वारा नगर जिनालयके लिए कुछ करोंका उत्पन्न दान देनेका इसमें उल्लेख है। इसी मन्दिरको अय्वत्तोक्कल तथा उगुरु ३००-द्वारा कुछ तेल वगैरहका दान भी दिया गया था। तिथि पौष शु० २, रविवार, शक १२११, सर्वधारी संवत्सर ऐसी दी है । ] [रि० सा० ए० १९४४-४५ क्र० एफ ६३]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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