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________________ २६२ जैन शिलालेख संग्रह ३५१ सण्णमल्लीपुर ( मैसूर ) शक १२०७ = सन् १२८५, कन्नड १ स्वस्ति श्रीप्रतापचक्रवर्ति ३ हदेवरसरु पृथिवि ५ शक वरिष १२०७ नेय ●ण ९ ... गरबेलु ११ ...मतरु १३ 'कोडगे" १५ तदने...सा १७ ...सिद सासन ॥ १९ *****.. .....भाऊ [ ३५१ २ होइसल वीर नरसिं ४ राज्यं गेयुतिरल ६ सुभक्रितुसंवत्सरद पावगु .... १० लबुं १२ हि श्रातन तम्म आल १४ ...हदु होलवेरड अन्तु १६ यिर मत्सरु बिह १८ "दक्षिण तगडूरलि २० (ता) यूर गुलियपुर २१ ...यपण भल २२ ''''नागगावुड ॥ वीतराग [ यह लेख होयसल राजा नरसिंह ३ के समय शक १२०७ के फाल्गुन में लिखा गया था। किसी हेग्गडे-द्वारा नागगावुडको तगडूर, तायूर तथा गुलियपुर ग्रामकी कुछ भूमि करमुक्त दी जानेका इसमें वर्णन है । अन्तमें वीतराग यह मुद्रा है इससे दानदाता जैन प्रतीत होते हैं । ] [ ए०रि० मै ० १९३० पू० १८४ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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