SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 309
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -३५.] इन्दौर भादिके लेख २१. तैलंगेरैके प्रसन्नपार्श्वदेवके लिए २००० वृक्षोंके उद्यानके दानका वर्णन है । इस मन्दिरका उपाध्याय जैन ब्राह्मण चल्लपिल्ले था जो पाण्डयप्रदेशके भुवलोकनाथनल्लूरका निवासी था।] [रि० सा० ए० १९१६-१७ ० ४० पृ०७४ ] ३४८ इन्दौर म्युजियम ( मध्यप्रदेश) संस्कृत नागरी, सं० १३३४ - सन् १२७८ [इस लेखमें पण्डिताचार्य रत्नकीति-द्वारा एक मूर्ति सं० १३३४ में ८ स्थापित किये जानेका उल्लेख है। [रि० इ० ए० १९५०-५१ ऋ० १२३ ] ३४६ एटा ( उत्तरप्रदेश) संवत् १३३५ = सन् १२७८, संस्कृत-नागरी [ मूलसंघके गोललतक कुलके कुछ साधुओं द्वारा संवत् १३३५ में तीन मूर्तियां स्थापित की गयी थी ऐसा इस लेखमें वर्णन है।] [रि० आ० स० १९२३-२४ पृ० ९२ ] कडकोल ( धारवाड, मैसूर ) शक १२०१=सन् १२८०, कबड [इस लेखमें मूलसंघके पपसेन भट्टारकके शिष्य सावन्त सिरियम गौडकी पत्नी चण्डिगौडिके समाधिमरणका तथा कई गौड़ों-द्वारा एक बसदिको दान दिये जानेका उल्लेख है । तिथि भाद्रपद शु० ६, सोमवार, शक १२०१, प्रमाथि संवत्सर ऐसी है। ] [रि० सा० ए० १९३३-३४ ० ई ५१ पृ० १२३ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy