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________________ १६३० जैन शिका लेख संग्रह [ ३४६ २ वादुनं सोमेयदण्णायकरु मेय्वुन बाचेयदृण्णायकरु हॉकंवद बसदि जीर्णवा... ३ दण्णा करुं जीर्णोद्धारखं माडिसिके य निडिसिद्रु - [ इस लेखमे होयसल राजा नरसिंहके शासनकाल में चैत्र शु. १, गुरुवार, प्रजोत्पत्ति संवत्सर के दिन होंकुंदकी बसदिके जीर्णोद्धारका उल्लेख है । यह कार्य सोमेय दण्डनायकके बहनोई बाचेय दण्डनायक द्वारा किया गया था । लिपि १३वीं सदीकी है । संवत्सर नामानुसार यह वर्ष सन् १२७१ होगा जब नरसिंह तृतीयका राज्य चल रहा था । ) [ ए०रि० मे १९३७. पृ० १८७ ] ३४६ मुलगुन्द ( धारवाड, मैसूर ) शक ११९७ = सन् ११७५, कवड [ यह लेख वैशाख व. १ (३), गुरुवार, शक १९९७ युव संवत्सरका है तथा पार्श्वनाथ सदिके भीतरी दीवालमें लगा है। इसमें सरटूरुके तिलकरसके मन्त्री देवण्णके पुत्र अमृतयके समाधिमरणका उल्लेख है । ] [रि० स० ए० १९२६-२७ क्र० ई ९१ पृ० ८ ] ३४७ अमरापुरम् ( अनन्तपुर, आन्ध्र ) शक १२०० = सन् १२७८, कचर [ यह लेख निडुगल्लुके महामण्डलेश्वर इरुगोण चोल महाराजके समय आषाढ शु० ५ सोमवार शक १२००, ईश्वर संवत्सरका है । इसमें मूलसंघ-देशियगण के त्रिभत राउलके शिष्य बालेन्दु मलधारिदेवके उपदेशसे संगयन बोम्मिसेट्टि तथा मेलब्वेके पुत्र मल्लिसेट्टिद्वारा
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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