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________________ -३४५] मणिगेरि पादिके लेख ग्रन्थोंका उल्लेख किया है - सिद्धान्तसार, श्रावकाचारसार, पदार्थसार तथा शास्त्रसार समुच्चय । इनके शिष्य कुमुदचन्द्र पण्डित थे। अन्तमें इस दानके सहायकके रूपमें महाप्रधान सोमेय दण्डनायकका उल्लेख किया है। [ए. रि० मै० १९११ पृ० ४८ ] ३४३ अण्णिगेरि (धारवाड, मैसूर ) शक ११८९ = सन् १२६७, काड [ इस लेखमें चैत्र व० ४, मंगलवार, शक ११८९, प्रभव संवत्सरके दिन मूलसंघ-कोण्डकुन्दान्वयके सोमदेवाचार्यकी शिष्या आकलपे अब्वेके समाधिमरणका उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९२८-२९ ३० ई २०४ पृ० ५३ ] ३४४ संगूर (धारवाड, मैसूर ) राज्यवर्ष १ = सन् १२६९, काड [ इस लेखमें यादव राजा महादेवके राज्यवर्ष ९, विभव संवत्सरमें नन्दिभट्टारकके शिष्य नयकीति भट्टारकके शिष्य नालप्रभु गंगर सावन्त सोवके समाधिमरणका उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९३२-३३ क्र० ई १६८ पृ० १०७ ] ३४५ हुलिकेरे ( मैसूर ) सन् १२७१, कार १ स्वस्ति प्रजोत्पत्तिसंवत्सरद चैत्र सुनि दंदु श्रीमत् प्रतापवीर होम्सल श्रीवीरनारसिं.......
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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