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________________ -३०.] मनोलीके लेख २६८-३०० मनोली (जि. बेलगाँव, मैसूर ) कनाड, १२वीं सदी [ इस लेखकी लिपि १२वीं सदीकी है। यापनीय संघके आचार्य मुनिवल्लिके मुनिचन्द्रदेवकी समाधि कुल्लेयकेतगावुडकी पुत्री गंगेवेद्वारा स्थापित की गयी थी। ये मुनिचन्द्र सिरियादेवी-द्वारा स्थापित बसदिके आचार्य थे। इसी समयके दूसरे लेखमें मुनिचन्द्रके शिष्य पाल्यकी(ति) देवके समाघिमरणका उल्लेख है । तिथि आश्विन कृ० ५, शुक्रवार, साधा(रण) संवत्सर, ऐसी है। यहाँके तीसरे लेखमे इसी परम्पराके एक और आचार्यके समाधिमरणका उल्लेख है। [रि० सा० ए० १९४०-४१ ई० क्र० ६३-६५ १०२४५ ] ३०१ कोलक्कुडि ( जि० मदुरा, मद्रास ) कन्नड, १२वीं सदी समणरमलै पहाड़ीपर पाषाणके दीपस्तम्भके समीप [ इस लेखमे आरियदेव, बेलगुलके मूलसंघके बालचन्द्र देव, नेमिदेव, अजितसेनदेव तथा गोवर्धनदेवका निर्देश है । लिपिके अनुसार यह १२वों सदीका लेख होगा।] [रि० इ० ए० १९५०-५१ ० २४४ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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