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________________ २२८ जैन शिलालेख संग्रह ३०२ बेहार ( नरसिंहगढ़, मध्यप्रदेश ) प्राकृत - नागरी, १२वीं सदी ...अं घणोममं सुंदरं १ २ सि ३ | तिहुअणतिलअं सी४ री- शावडस्स अमराल ५ अं रम्मं ॥ श्रीभाण ६ देवेन गाथा वि७ रचिता ******* **** [ ३०२ [ यह लेख सोलखंभ नामक उध्वस्त जैन मन्दिरमे एक स्तम्भपर है । इसमे श्री आणदेव द्वारा लिखित एक गाथा है जो किसी तिहुअणतिलअ ( त्रिभुवनतिलक ) मन्दिर तथा उसके स्थापक शावडके बारेमे है । इसी स्तम्भपर कुछ अन्य व्यक्तियोंके नाम भी खुदे है । गाथाकी लिपि १२वीं सदीकी है । ] [रि० इ० ए० १९४६-४७ क्र० १७४ ] ३०३ सवणूर ( धारवाड, मैसूर ) १२वीं सदी कन्नड, [ यह निसिधि लेख मलधारि आचार्य के समाधिमरणका स्मारक है । तिथि शुचि व० ८, सोमवार, विश्वावसु संवत्सर ऐसी दी है । लिपि १२वीं सदी की है । ] [रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र० ५९ पृ० ३३ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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