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________________ जैनशिलालेख-संग्रह [ यह लेख रंगनबेट्टके समीप जंमलमे श्रवणनअरे नामक पापाणपर खुदा है । होयसल राजा वीरबल्लाल ( द्वितीय ) के राज्यमे वैशाख शु० ५, गुरुवार, शक १११२, साधारण संवत्सरके दिन यह लिखा गया था। लेख टूटा होनेसे इसका उद्देश ज्ञात नहीं हो सकता। किन्तु प्रारम्भमे जिनशासनकी प्रशंसा है अतः यह किसी जैन व्यक्तिका निसिधिलेख या किसी जैन मन्दिरको दिये गये दानका उल्लेख प्रतीत होता है। [ए. रि० मै० १९३८ पृ० १९३ ] २८१ होसनगर ( मैसूर) शक १११२= सन् १९९०, कन्नड १ श्रीमत्परमगंभीरस्याद्वादामोघलांछनं २ जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं ३ स्वस्ति श्रीबल्लालदेवरसरु ५ जेयं उत्तरोत्तरामिरुद्ध मिरलु सक बरुष २१५१२ एरडनेय सर्वधारिसंवत्सरद ७ ज्येष्ठ सुध एकादशि वड्डवारदलु गु८ गसंपनरप्प पुष्पसेनदेवर गुद्धि श्री९ मतु सर्वाधिकारि बम्माचारिय हेण्डति ह१० व्वक्कनु सुरलोकप्राप्तेयादलु [ इस लेखको तिथि ज्येष्ठ शु० ११, शनिवार, शक १११२, सर्वधारि संवत्सर है (यह तिथि अनियमित है क्योंकि शक १११२ साधारण संवत्सर था)। उक्त समय होयसल राजा बल्लाल (द्वितीय) का राज्य था। सर्वाधिकारी बम्माचारिकी पत्नी हन्वक्काके समाधिमरणका इस लेखमे निर्देश है । इनके गुरु पुष्पसेनदेव थे।] [ ए० रि० मै० १९३१ पृ० १७२ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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