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________________ -२६४] नदिहरलहल्लि आदिके लेख संवत्सरमे पुष्य शु० १४, सोमवारके दिन सिन्द कुलके बिट्टरसके पुत्र होलरस द्वारा गुणबेडंगिय बसदिके लिए कुछ करोंके उत्पन्न दान देनेका उल्लेख है। [रि० सा० ए० १९२८-२९ क्र० ई ४० पृ० ४४ ] नदिहरलहल्लि (धारवाड, मैसूर ) शक १०९० = सन् ११६८, कन्नड [ इस लेखमे कलचुर्य राजा बिज्जणदेवके समय शक १०९०, सर्वधारि संवत्सर, चैत्र पूर्णिमा, सोमवारके दिन जैन साधु-साध्वियोंके आहारदानके लिए कुछ भूमि दान दी जानेका उल्लेख है।] रि० सा० ए० १९३४-३५ क्र ० ई ५८ पृ० १५२ ] हलसंगि ( विजापूर, मैसूर ) शक १०९० %3D सन् ११३८, कन्नड [ इस लेखमै शक १०९० मे चन्द्रग्रहणके समय धोरजिनालयके लिए कुछ भूमिदानका उल्लेख है । ] [रि० सा० ए० १९३७-३८, क्र० ई० २५ पृ० २०१] हिरमन्नर ( धारवाड, मैमूर ) शक १०९१ % सन् १९७०, कन्नड [ यह लेख पुष्य शु० ५, गुरुवार, शक १०९१ विरोधि संवत्सरका है। इसमे सिन्द कुलके महामण्डलेश्वर चावुण्डरस-द्वारा हिरियमणियूरके जैनशालाके अधिष्ठायक दासबोवकी प्रार्थनापर कुछ भूमिके दानका उल्लेख है। [रि० सा० ए० १९२७-२८ क्र० ई ४ पृ० २० ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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