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________________ जैनशिलालेख-संग्रह [११४ ११८ ११८ कोप्पल ( रायचूर, मैसूर) राज्यवर्ष ५ = सन् १००८, कन्नड, यह लेख चालुक्य राजा विक्रमादित्य के राज्यवर्ष १का है। इसमें सिंहनन्दि आचार्यके इंगिनीमरणका तथा उनकी स्मृतिमे कल्याणकीर्ति-द्वारा एक जिनेन्द्र चैत्यालयके निर्माणका उल्लेख है।] [रि० इ० ए० १९५५-५६ क्र. १९९ पृ० ३७ ] उक्काल ( जि० उत्तर अर्काट, मद्रास ) सन् १.०९, तमिल पेरुमाल मन्दिरकं एक मण्डपको उत्तरी दीवालपर [ यह लेख चोल राजा राजराजकेसरिवर्मन् ( राजराज १ ) के २४वें वर्षका है। जो ब्राह्मण, वैखानस और जैन चोल, पाण्डल तथा तोण्डमण्डलके गांवोंके अधिकारी हैं वे यदि भूमिकर दो वर्ष तक न दें तो उनकी जमीन जब्त करानेका इसमे आदेश दिया है। [इ० म० उत्तर अर्काट ३०८ ] १२० बेचारक बोमलापुर ( मैसूर ) शक ९३५ = सन् १०१३, कन्नड , सकवर्ष ९३५ २ नेय प्रमादीच ३ संवत्सरद भा४ पाढ सु दसमि ५ सोमवारदोल ६ माकम्बेगतिय ७ मटिबद बीचग- ८ वुड परोक्षवि- ९ नयं निसिधिगे. १० य कल्लनिरि- १ सिदं [ यह लेख माकब्बेगन्ति नामक महिलाके समाधिमरणका स्मारक है
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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