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________________ -११७ ] कमलापुरम् आदिके लेख कमलापुरम् ( बेल्लारी, मैसूर) १०वीं सदी, कन्नड [ यह लेख १०वीं सदीको लिपिमें है। इसमें गुणचन्द्रमुनि, इन्द्रनन्दिमुनि तथा एक महिलाका उल्लेख है। ] [रि० इ० ए० १९५२-५३ ० २२२ पृ० ४८ ] ११६ काशिवल ( बिजनोर, उत्तरप्रदेश) संवत् १०६(१) = सन् १००५, संस्कृत-नागरी [ यह लेख एक जैन मूर्तिके पादपोठपर है। इसमें भरतका उल्लेख है तथा संवत् १०६ यह तिथि दी है । सम्भवतः संवत्का अन्तिम अंक लुप्त हुआ है। [रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र० ४३६ पृ०७१] ११७ लक्कुण्डि ( मैसूर ) शक ९२९ = सन् १००७, कन्नड [यह लेख चालुक्य सम्राट् आहवमल्ल ( जो यहाँ सत्याश्रयका उपनाम होना चाहिए ) के सामन्त वाजिकुलके नागदेवके समयका है। इसकी पत्नी अत्तियब्बेने लोक्किगुण्डिमे एक जिनालय बनवाकर उसे कुछ भूमि दान दी थी। यह दान उसके गुरु सूरस्थगण-कोरूरगच्छके अहणन्दि - पण्डितको दिया गया था। दानकी तिथि फाल्गुन शु० ८, शक ९२९, प्लवंग संवत्सर ऐसी दी है। उस समय अत्तियज्बेका पुत्र पडेवल तैल मासवाडि प्रदेशका प्रमुख था।] [ मूल कन्नडमें मुद्रित ] [ सा० इ० इ० ११ पृ० ३९ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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