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________________ -१२३] तोण्डर मादिके लेख ०५ जो बीचगवुडने स्थापित किया था। तिथि आषाढ शु० १०, सोमवार, शक ९३५, प्रमादी संवत्सर ऐसी दी है । ] [ए० रि० मै० १९४२ पृ० २०७ ] तोण्डर ( द० अर्काट, मद्रास) ११वीं सदी पूर्वार्ध, तमिल [ यह लेख चोल राजा परकेसरिवर्मन् ( सम्भवतः राजेन्द्र १ ) के राज्यवर्ष ३का है। विष्णकोवरयन् वयिरि मलैयन् नामक शासक-द्वारा वज्रसिंग इलपेरुमानडिगल नामक जैन आचार्यको गुणनेरिमंगलम् अपरनाम वलुवामोलि आरान्दमंगलम् नामक ग्राम तथा तोण्डूर ग्रामके कुछ उद्यान आदि दान दिये जानेका इसमें उल्लेख है। ] [रि० सा० ए० १९३४-३५ क्र० ८३ पृ० १६ ] १२२ उदयपुर (राजस्थान) संवत् १०७६ = सन् १०१९, संस्कृत-नागरी [ उदयपुरके वासुपूज्यमन्दिरको एक मूर्ति । यह मूर्ति संवत् १०७६ में वाहिल सोडक-द्वारा स्थापित की गयी थी ऐसा इस लेखमे कहा है। ] । [रि० आ० स० १९३०-३४ पृ० २२६ ] मरोल ( मैसूर ) शक ९४६ % सन् ०२४, कन्नड [यह लेख चालुक्य सम्राट् जगदेकमल्ल (प्रथम) के समय शक ९४६, रक्ताक्षि संवत्सरके उत्तरायण-संक्रमणके अवसरपर लिखा गया था। इसमें
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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