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________________ -120] होलेनरसीपुर आदिके लेख महानायक रेचय्यके पुत्र अय्वसामिका उल्लेख है जो चातुर्वर्ण श्रमण संघका सहायक था । लिपि १०वीं सदीकी है । ] [ ए०रि० मै० १९१३ पृ० ३१ ] १०८ होलेनरसीपुर (मैसूर) १०वीं सदी, कम १ "म ३ सनं गेटदु ५ तु मुडिपि - [ यह लेख १०वीं सदीकी लिपिमें हैं । इसमें मुनिमुख्य महेन्द्रकीर्तिके समाधिमरणका उल्लेख है । ] [ ए०रि० मै० १९१३ पृ० ३१ ] १०६ अंकनाथपुर (मैसूर) १०वीं सदी, कन्नड [ यह लेख १०वीं सदीकी लिपिमें है । इसमें कदम्ब वंशीय बासबेके पुत्र राचयके समाधिमरणका उल्लेख है । यह लेख बलदेवने स्थापित किया [ ए०रि० मै० १९१३ पृ० ३२ ] था । ] ११० कोडिहलि (माण्डया, मैसूर ) १०वीं सदी, कच ● मगलप्प ९ निऋसिट् ( ल . ) [ इस निसिषि-लेखमें किसी उसकी पुत्री fasक्कने यह समाधि सदीकी प्रतीत होती है । ] 9 २ य्य सन्य ४ एरड नों ६ दन् आतन ८ बिडक्क कल मय्यके समाधिमरणका निर्देश है | स्थापित की थी। [ ए०रि० मैं ० लेखको लिपि १०वीं १९४० पृ० १६० ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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