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________________ जैनशिलालेख संग्रह उम्मत्तूर (मैसूर ) १०वीं सदी, कबड [ इस लेखमे विमलचन्द्रके शिष्य सोत्तियूरके शासक मारम्मयके पुत्र सिन्दय्यके समाधिमरणका उल्लेख है। लिपि १०वीं सदीकी है । ] [ए. रि० मै० १९१७ पृ. ३९ ] १०४ बूवनहल्लि ( मैसूर ) १०वीं सदी, काड [ यह लेख एक जिनमूर्तिके पादपीठपर है। इस मूर्तिकी स्थापना बालचन्द्र सिद्धान्तभटारके शिप्य क(म)लभद्रगुरु द्वारा की गयी थी। लिपि १०वीं सदीकी है। [ए० रि० मै० १९१३ पृ० ३१ ] अंकनाथपुर ( मैसूर) १०वी सदी, कन्नड [यह लेख अंकनाथेश्वर मन्दिरके छतमें लगा है। प्रभाचन्द्र सिद्धान्तभट्टारकी शिष्या देवियब्बेके समाधिमरणका यह स्मारक है। लिपि १०वीं सदीकी है। [ए० रि० मै० १९१३ पृ० ३१ ] १०६-१०७ अंकनाथपुर ( मैसूर ) १०वीं सदी, कराड [यहाँके सुब्रह्मण्यमन्दिरके छतमे दो निसिधि लेख लगे हैं। एकमे दडिगसेट्टि तथा देवरदासय्यकी माता चामकब्बेका उल्लेख है। दूसरेमें
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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