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________________ १५ है । सुप्रसिद्ध संस्कृत मचचिन्तामणि, क्षत्रचूडामणि -काव्याचा स्याद्वावसिद्धि आदि इनकी कई कृतियां हैं। उच्च कोटि के संस्कृत साहित्यकारों में इनकी गणना है। भारी बादी, शास्त्रार्थी. राज्यमान्य एवं प्रभावक माचार्य थे । निश्चित ज्ञात तिथि २०५७ ई० है जो संभवतया इनके समाधिमरण की है। बड़े दीर्घजीवि थे, पण ६० वर्ष तो मुनि जीवन रहा। [शोषक- ४१.२०; जैसि भा. ३५.नं. २१-२३; वैशिसं । ५४; iv २४६.२८२. ] ३. सेनगणाग्रगण्य अजितसेनाचार्य जिन्होंने तुलुवदेशस्थ वंगवाडि की शासिका जैन रात्री विट्ठला देवी के पुत्र कामिराम वीर नरसिंह बंगनरेन्द्र ( १२४५-७५ ई० ) के पढनार्थ श्रृंगार मन्जरी नामक अलङ्कार शास्त्र की रचना की थी । काव्यशास्त्र के पिंगल, छन्द, बलकार आदि विषयों में यह बाचार्य निष्णात थे । अलङ्कार चिन्तामणि, छन्द: प्रकाश, वृत्तवाद नामक ग्रन्थों के रचयिता बजितसेन भी यही रहे प्रतीत होते हैं । [ शोषांक ४१.२० ] ४. आ. माणिक्मनंदि के परीक्षामुखसूत्र की लघु अनन्तवीर्यकृत प्रमेयरत्नमाला नाम्नी टीका की व्यायमणिदीपिका नामक टीका के रचमिठा अतिसेनाचार्य । [ शोधांक ४१.२० ] ५. शाकटायन के सब्दानुशासन पर वक्षणमईकु चिन्तामणि टीका ( लघीयसीवृत्ति) की मविप्रकाशिका टीका के कर्ता अजितसेन । [वही.] ६. बिल संघी वासुपूज्य वैविच के विग्य समयदिवाकर अजितसेन पंडित जिनका समाधिमरण ११९४ ई० में हुआ प्रतीत होता है । [ जोशिसं. v. १११ ; शोधांक ४१] संभावना है कि न. ४,५ और ६ अ हो । ७. सेनगण को पट्टावली में नं० १४ पर, अलि के पश्चात और सुम्मसेन के पूर्व उल्लिखित नि । [सभा, १,३७४३] ८. सेनयम की एक दूसरी पट्टावली में राजसेन के उपरान्त तथा नरेन्द्रसेन चैविद्य के पूर्व उल्हसित बक्तिसेन । यह नरेन्द्र सेन ऐतिहासिक व्यकि
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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