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________________ 1 जैविद्य पं० भासावर (१२९१-१२४३६०) के गुरु कमल के परदादा गुरु ये [शोषांक ४१. २०: जेए xiii २. १-९ ६. वर्णमान सुनि के भक्त्वादिवारण में प्रदत्त पट्टावली में नं. ४ पर, बार्यन के पश्चात र बीरसेब के पूर्व उल्लिखित बजितसेव । [ नही.] १०. म. १२ जी के शि० से० में बारियदेव, बालचन्द्रदेव और देव के उपरान्त तथा पो के पूर्व उल्लिखित नजितसेनदेव | [ iv ३०१] ११-१२. मैसूर प्रदेश के लंकले नामक स्थल में एक ९ भट्टारकों को नामांकित मूर्तियां उत्कीर्ण हैं, किन्हीं अजितसेव भट्टारक को है, और म० भटार की है । [जैशिकं iv ५४०-५६ ] १२. अजितसेन मुनिवर, जिनके गृहस्थ सिष्य और मन्त्री चामुण्ड के पुत्र विश्व नै भवनबेलवल में जिनमंदिर निर्माण कराया था । लेक तिविरहित है किन्तु यह माचार्य उपरोक्त नं० १ से अमित प्रतीत होते हैं । [f. i. 49] पर जिनमें से ब०५ किन्हीं अजितसेन अनितादेवी-- मोम्मटेश संस्थापक ( ९०१ ६० ) बीस्मा महराज चामुण्डराय की भार्या और जिनदेवण की जननी, धर्मात्मा महिला [ प्रमुख. ८४ ] अभीतती-- ब्रहमचारिणी बाई बजीतमति, सामवाल (हूंगरपुर) के सम्पन्न चिन. जैन हैबड धावक कान्ह जीकी पुत्री, सच्चयतया हिन्दी की प्रथम ज्ञात जैन कवियत्री, अनेक फुटकर पद्य रचनाएँ अध्यात्मिक छन्द, पटपद, भक्तिपरक पद आदि एक मुठके में संक्त प्राप्त हुई हैं। निश्चित ज्ञात तिथि १५९३ ई० है जो उनके स्वयं के द्वारा उक्त गुटके के मिलने की तिथि है। सूरत पट्ट के भ. बादि चन्द्रसूरि की वह गृहस्वशिष्या रही प्रतीत होती है । [दे. वीरवाणी, ३ मई ८४, पृ. १११-१५] या अजनूप, कुन्तलमाड का एक जैन राजा, ल. १४०० ई० [जैशिसं. iv. ४३३] ऐतिहासिक व्यक्तिकोष १९
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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