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________________ अजित- १. या ब्रह्माजित, गोलवार वंशोत्पल वीरसिंह की मा पोथा ( था बोधा) की कुक्षि से उत्पन्न मूलमंदिसंध के सूरत पट्ट के भ० देवेन्द्रकीति अपरनाम सुरेन्द्रकीर्ति (१३८७१४४२ ई०) के शिष्य ब्रह्मचारी, और उनके पट्टधर भ० विद्यामंदि (१४४२-६६६०) के गुरुभ्राता श्रेष्ठ विद्वान, शास्त्रश एवं कुशल कवि थे । भ० विद्यानन्द के बादेश से इन्होंने मुगुकच्छ (मड़ौच ) नगर के नेमिनाथ जिनालय में, ल. १४५० ई० में, संस्कृत भाषा में 'हनुमच्चरित' नपरनाम 'शैलमुनीन्द्रराजचरित' काव्य की रचना की थी। २. प्राकृतभाषा की, ४४ गाथा निबद्ध कल्ला मलोयणा (कल्याणलोवा) नामक अात्मसम्बोधनरूप रचना के कर्तातिवसाया में 'मिद्दिट्ठ अजियवंसेन' पाठ है। संभवतया उपरोक्त से अभि I [पुस. ११२] १६ ३. उत्सवपद्धति तथा उपद्धति के रचयिता संभवतया न. १५२ से अमित है । [टांक] पति- होमसन नरेश विष्णुवर्द्धन के सन्धिविग्रहिक मन्त्री एवं वापि पुषिसमय्य के गुरु द्रविडम्बय के आचार्य, १११७६० के शि० से० में उल्लवित । [जैसि ii २६४ ] अतितीवादिननसूरि के शिष्य और प्रद्युम्नसूरि (१० शवी ) के प्रगुरु । अतिसार- सिहसंघ के आचार्य, सिद्धान्तशिरोमन एवं पटखंडभूपद्धति ग्रन्थों के फर्ता । [टॉक ] अमित सिंह- देवगढ़ (उ० प्र०) के मंदिर म० ११ के शि० से० में उल्लिखित सिंहावय के मानसिंह के शिष्य और धर्मसिंह के गुरु । [जैशिसं ४, पृ० ११७] अजितसिंह मेहता - बर्जुनसिंह के ओरसपुत्र, सवाईसिंह के दत्तक पुत्र, १५६१६० में मेवाड़ राज्य में सिविल जज थे, उनके पुत्र छत्रसिंह मेहता १९१६ ई० में जिलाधीश थे । [ टांक] मसिंह सूरि- राजबन्छी भनेश्वरसूरि के शिव्य, और वर्धमानसूर (१०वींशती) के गुरु | ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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