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दवावकालिका-सूत्र ।
सप्तम अध्ययन ।
हेरि स्थुल मनूष्यादि पथे वा भवने । वलिचे साधकवर निम्नोक्त वचने ।। मांसल एजीव: इनि प्रफुल्ल हृदय । इनि हन स्युल देह इनि महाकाय ॥२३ दोहनेर योग्या गाभी एरा दमनीया। रथेर वाहन चोग्य वलद् बलिया। कारकाछे भ्रमक्रमे यखन तखन । आलापन ना करिवे कभु साधुजन ॥२४ धेनुके रसदा नामे साधुरा डाकिये। दसनीय वृपगणे युवक कहिवे॥ नेहारि वलद छोट हस्व नाम दिवे । किम्वा महल्लक नामे वड़के डाकिये। वडवलीवई साघु पथते हेरिया । डाकिने ताहाके निम्न नाम उच्चारिया। रथेरे वाहन योग्य सकल समय । एजीव संवहनीय नाहिक संशय ।।२५ . वलिवेना साधुजन प्रवेशि ञ्चाने । ज्यान इहार नाम काहार सदने ।। पर्वते उठिया साघु इहारा भूधर । वलिवेना कभु भ्रमे साधक प्रवर ।।. नेहारि प्रकाण्ड वृक्ष अति ऊर्ध्वगति! अति बड़े एइ वृक्ष वलिवेना यति ॥२६