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________________ ज्यों था त्यों ठहराया सिद्ध हुए, जिन्होंने पर्त नहीं चढ़ाई। वे सत्य के प्रति भी झूठे न हुए; उन्होंने सत्य में कोई समझौता न किया। हालांकि उनके पास बहुत लोग नहीं आए, नहीं आ सकते। यह बहुत लोगों के बस की बात नहीं यह बहुत लोगों का साहस नहीं है। छाती चाहिए। थोड़े लोग आए, लेकिन जो आए सो आए। जो डूबे सो डूबे और जब जान कर ही आए कि कड़वा है सत्य, आग है, अंगारे निगलने हैं--जान कर निगले थूकने का सवाल न उठा । ये थोड़े से लोग ही क्रांति को उपलब्ध हुए। ये थोड़े से ही लोग अहंकार को जला कर राख कर पाए । मैं राबिया से राजी हूं। यह कहानी मधुर है लेकिन मधुर तुम्हारे लिए, क्योंकि तुम्हारे लिए सिर्फ कहानी है जिनको राबिया ने एक मोमबत्ती, एक सुई और सिर का बाल थमा दिया था, उनके लिए बड़ी कड़वी रही होगी। समझो तो लो, तुम भी समझो जैसा राबिया ने कहा कि लो, समझो! ऐसा ही मैं भी कहता हूं कि लो, समझो! संत सफियान संत तो नहीं हो सकता। वही राबिया ने कह दिया। एक मोमबत्ती देकर कह दिया कि पंडित हो, अभी संत वगैरह की भ्रांति में न पड़ो। अभी भीतर का दीया जला ही नहीं और संत हो गए। संत हो गए, तो यह बात ही फिजूल है कि पूछो मुझसे कि आप साहिबे-इल्म हैं। कृपा कर हमें कोई सीख दें! संत को क्या बचा? संत वह जो सत्य को उपलब्ध हो गया, पी गया, पचा गया। सत्य जिसकी मांस-मज्जा बन गया...। संत सफियान ऐसे ही संत होंगे, जैसे तुम्हारे तथाकथित संत होते हैं किन-किन को तुम संत कहते हो? किन आधारों पर संत कहते हो? तुम्हारी मान्यताएं जो पूरी कर देते हैं, वे संत जैनों की जो मान्यताएं पूरी कर देते हैं, वे जैनों के संत और मान्यताएं भी क्या क्या मजे की हैं। कोई मुंह-पट्टी बांधे हुए है, तो वह संत हो गया! क्योंकि देखो, मुंह-पट्टी बांधे हुए हैं। कोई एक बार भोजन करता है, तो संत हो गया। क्योंकि देखो, एक बार भोजन करता है! कोई नग्न खड़ा है, तो संत हो गया ! मैंने सुना है, पता नहीं कहां तक सच है, कि टार्जन अफ्रीका के जंगलों में बहुत दिनों तक लंगूरों को पछाड़ता रहा बंदरों को ठिकाने लगाता रहा फिर किसी ने उसे खबर दी कि यहीं जिंदगी गंवा दोगे ! अरे, भारत के जंगलों में इससे भी पहुंचे हुए लंगूर हैं ये बंदर क्या वहां हनुमान के शिष्य हैं हनुमान की संतानें हैं। वहां बंदर हैं, जिन्होंने रावण जैसे महाबली को हरा दिया। अगर टक्कर लेनी है, तो वहां जाओ। यहां क्या छोटे-मोटे बंदरों से उलझे हो! न इनकी कोई कथा, न कोई परंपरा न कोई सभ्यता, न कोई संस्कृति। ऐसे-ऐसे बंदर हो गए हैं कि आदमी उनकी पूजा कर रहे हैं! हनुमान के जितने मंदिर हैं, किसके होंगे? और हनुमान के जितने भक्त हैं--किसके होंगे? जहां देखो, वहां हनुमान चालीसा पढ़ा जा रहा है! ऐसे-ऐसे बंदर हो गए हैं कि जिन्होंने लंका में आग लगा दी। रावण को पराजित कर दिया। राम जिनके सहारे जीते हैं जिनके कंधे पर रख कर राम ने अपनी बंदूक चला ली। यहां क्या कर रहे हो? Page 48 of 255 -- http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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