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________________ ज्यों था त्यों ठहराया ये दौरे-मसर्रत, ये तेवर तुम्हारे। उभरने से पहले, न डूबें सितारे।। भंवर से लड़ो, तुंद लहरों से उलझो। कहां तक चलोगे किनारे-किनारे।। मुहम्मद हुसैन! अगर लग गई बात, तो अब किनारे-किनारे न चलो। अब इबो इस गैरिक सरिता में। अगर हो गए घायल, तो अब भागना मत। अब जागो। ये दौरे-मसर्रत, ये तेवर तुम्हारे। उभरने से पहले, न डूबें सितारे।। भंवर से लड़ो, तुंद लहरों से उलझो। कहां तक चलोगे किनारे-किनारे।। अजब चीज है ये मोहब्बत की बाजी। जो हारे वो जीते, जो जीते वो हारे।। सियाह नागिनें बन के डसती है किरणें। कहां कोई ये रोजे-रोशन गुजारे।। सफीने वहां डूब कर ही रहे हैं। जहां हौसले नाखुदाओं ने हारे।। कई इन्किलाबात आए जहां में। मगर आज तक दिन न बदले हमारे।। रजा सैले-नौ की खबर दे रहे हैं। उफुक को ये छूते हए तेज धारे।। ये दौरे-मसर्रत, ये तेवर तुम्हारे। उभरने से पहले, न डूबें सितारे।। भंवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो। कहां तक चलोगे किनारे-किनारे।। अगर घायल हए हो, तो अब और तरह के विचारों को बीच में मत आने देना। लाख विचार आएंगे, क्योंकि हमारा अतीत एकदम से नहीं छोड़ देता। जकड़ता है, पकड़ता है। जंजीरें भी छोड़ने को एकदम से राजी नहीं होतीं। उनकी मालकियत जाती है। कारागृह की दीवालें भी रुकावट डालेंगी कि कहां जाते हो! हमें छोड़ कर जाते हो! यह गद्दारी, यह धोखा! हम ही तुम्हारी सुरक्षा हैं। बाहर खुले आकाश में बहुत तड़फोगे, बहुत परेशान होओगे। रुक जाओ। मान जाओ। अतीत सब तरह के जाल फेंकेगा। सुंदर सुंदर जाल। सुनहरे जाल--शब्दों के, शास्त्रों के, सिद्धांतों के, हिंदू होने के, मुसलमान होने के, ईसाई होने के, जैन होने के। और लटका लेता है आदमी को। छोटी-छोटी बातें में अटका लेता है। और आदमी सोचता है, बड़ी होशियारी की बातें कर रहा है। Page 200 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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