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________________ ज्यों था त्यों ठहराया मेरे सकूने-दिल को तो होना ही था तबाह उनकी भी एक निगाह का नुकसान हो गया ऐसा नुकसान मैं नहीं करता। जिसको बदलना है, जिसके भीतर आतुरता है, अभीप्सा है बदलने की, वह तो जरा से इशारे में बदल जाता है। मेरे सकूने-दिल को तो होना ही था तबाह उनकी भी एक निगाह का नुकसान हो गया जो तैयार ही हो कर आया है मिटने को, उस पर एक नजर का भी नुकसान क्यों करना! और जो तैयार हो कर ही आया है मिटने को, वही मिटेगा; शेष तो व्यर्थ की बातों में ही उलझे रह जाएंगे। शेष तो ऐसी बातों में उलझे रह जाएंगे, जिनसे उनका कोई प्रयोजन न था। आदमी की मूढता ऐसी है कि कांटों को चुन लेता है, फूलों को छोड़ देता है। रातों को गिन लेता है, दिनों को छोड़ देता है। दुखों को पकड़ लेता है, आनंद का जाम भी लिए उसके सामने बैठे रहो--देखेगा ही नहीं। ऐसे व्यक्ति के जीवन में प्रार्थना नहीं उठ सकती। ऐसे व्यक्ति के जीवन में तो शिकायतें ही शिकायतें होंगी। सोजे-गम दे के मुझे उसने ये इर्शाद किया। जा तुझे कश्मकशे-दहर से आजाद किया।। वो करें भी तो किन अलफाज में तेरा शिकवा। जिनको तेरी निगहे-लुत्फ ने बर्बाद किया।। इतना मानूस हूं फितरत से कली जब चटकी। झुक के मैंने ये कहा, मुझसे कुछ इर्शाद किया? मुझको तो होश नहीं, तुमको खबर हो शायद। लोग कहते हैं कि तुमने मुझे बर्बाद किया।। वे जो प्यासे हैं परमात्मा के, उनको तो इतनी भी खबर नहीं होती-- मुझको तो होश नहीं, तुमको खबर हो शायद लोग कहते हैं तुमने मुझे बर्बाद किया। उन्हें तो पता भी नहीं चलता। और यह बर्बादी बर्बादी नहीं है। यह तीर का चुभ जाना मृत्यु नहीं है--अमृत की घटना है। वो करें भी तो किन अलहाज में तेरा शिकवा। जिनको तेरे निगहे-लुत्फ ने बर्बाद किया।। उसकी निगाह बर्बाद करे, तो आबादी है। उसकी निगाह मिटा दे, तो नया जन्म है। और मेरी तो अपनी कोई निगाह नहीं। जो शांत और मौन होकर मेरे पास बैठेगा, उसको उसकी निगाह ही दिखाई पड़ेगी। और उसकी निगाह तो सीधी-साफ है। मैं तो बांस की पोंगरी समझो। गीत उसका है। सुनने वाला चाहिए। मुहम्मद हुसैन! तुमने ठीक देखा, ठीक सुना, ठीक पहचाना। Page 199 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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