SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्यों था त्यों ठहराया मगर वे बोले कि तुम चुप रहो तुम बात ही न करो तुम तो आंखें बंद कर के विश्राम करो। तुम थोड़ा आराम करो! डाक्टर को बुला लिया। डाक्टर को देखकर उनको और हंसी आई डाक्टर नब्ज देख रहा है, स्टेथेस्कोप लगा कर देख रहा है ! तो उनको हंसी...। डाक्टर ने कहा, हंसना बंद करो। मुझे पहले जांच करने दो। उन्होंने कहा कि हंसी इसी बात की आ रही है कि जांच करने को कुछ है नहीं। जब जांच करने को बहुत कुछ था, तब कहां थे? तब कोई न आया ! डाक्टर ने भी कहा पत्नी को कि बात खतरनाक है शारीरिक कोई मामला नहीं है। मानसिक कोई गड़बड़ है। अस्पताल में ही भरती कर देना ठीक है। तो उन्होंने अस्पताल से ही लिखा है कि अस्पताल में पड़ा हूं। हंस रहा हूं दवाइयां ले रहा हूँ! अजीब यह दुनिया है। यहां हंसी क्षमा नहीं की जा सकती। यहां आनंद बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यहां दुख स्वीकार है सभी को, क्योंकि सभी दुखी हैं। अजयकृष्ण लखनपाल, अवसर है, चूको मत कहीं फिर पीछे पछताना न हो फिर पछताए होत का, जब चिड़िया चुग गई खेत ! आज इतना ही। आठवां प्रवचन दिनांक १८ सितंबर, १९८० श्री रजनीश आश्रम, पूना आचरण नहीं - बोध से क्रांति पहला प्रश्न: भगवान, जमाना हो गया घायल तेरी सीधी निगाहों से खुदा ना खासता तिरछी नजर होती तो क्या होता ? मुहम्मद हुसैन! सीधी नजर काफी हो, तो तिरछी नजर की जरूरत क्या ! और सीधे-सीधे जो काम हो जाए, वह तिरछे होने से नहीं होता। तिरछा होना तो मन की आदत है; सीधा होना हृदय का स्वभाव | मैं जो कह रहा हूं, वह दो और दो चार जैसा सीधा साफ है जिसकी समझ में न आए, उसकी समझ तिरछी होगी, उसके भीतर विकृतियों का जाल होगा। अगर तुम्हारे पास भी सीधा-सादा हृदय हो, तो मेरी बात का तीर ठीक निशाने पर पहुंच ही जाएगा, पहुंच ही जाना चाहिए। प्रेम से सुनोगे तो सुनते सुनते ही क्रांति घट जाएगी। Page 198 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy