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________________ ज्यों था त्यों ठहराया चैतन्य जागा रहता है। साक्षी जागा रहता है। दिन में तो जागा ही रहता; रात में भी जागा रहता। जागे में भी जागा--सोए में भी जागा। अभी हालत उलटी है! अभी सोए में भी सोया--और जागे में भी सोया। बस, इसको ही जरा सीधा कर लेना। अभी तुम शीर्षासन कर रही हो। मैं कहता हूं: पैर के बल खड़े हो जाओ। यह बंद करो शीर्षासन। लड़ना मत, नहीं तो लगेगा कि मैं असहाय हूं, असमर्थ हूं। त्यागना मत--नहीं तो लगेगा, आपके समाने होते हए भी आपसे मिलने नहीं देता। आपके प्रेम-सागर में डूबने नहीं देता। यह तो यूं हुई बात मंजु! जैसे कोई कहे: अंधेरा है; दीए को जलने नहीं देता। ऐसा हो सकता अंधेरा कितना ही प्राचीन हो, कितना ही पुराना हो, सदियों-सदियों, सहस्रों वर्षों से हो--तो भी क्या दीए को जलने से रोक सकेगा? दीया अभी जलता--ताजा, नया, सद्यःस्नात--अभीअभी नहाई-नहाई ज्योति आती। अभी-अभी जन्मा। जैसे छोटा-सा नवजात शिशु। मगर उसको भी पुराने से पुराना अंधकार रोक नहीं सकता। नहीं। ऐसा मत सोच कि अहंकार तुझे प्रेम में नहीं डूबने देता। प्रेम में डूब--तो अहंकार विदा हो जाता है। दीया जला, तो अंधकार विदा हो जाता है। लेकिन हम तर्क खोज लेते हैं। और वही मन तर्क खोज रहा है, जो मन अहंकार को निर्मित करता है। इसलिए हमारा तर्क हमारे अहंकार को बल देता जाता है। हम अपने को छिपाते चले जाते हैं। इससे एक पाखंड पैदा होता है। तो ज्यादा से ज्यादा आदमी विनम्र हो सकता है। लेकिन विनम्र आदमी सिर्फ पाखंडी होता है। भीतर तो अहंकारी है। यही अकड़ कि मुझसे विनम्र कोई भी नहीं। और मनुष्य का मन जरूर ही बहुत चतुर है। वह हर चीज के लिए तर्क खोज लेता है, तर्क का सहारा खोज लेता है! यूनुस ने एक किताब लिखी है--पर्शन्स, पैशंस एंड पालिटिक्स। मुहम्मद यूनुस ने इस किताब में कुछ बड़ी महत्वपूर्ण बातें उदघाटित की हैं। लिखा है कि उन्नीस सौ इक्कीस में मोरारजी देसाई को ब्रिटिश सरकार ने सांप्रदायिकता के कारण, हिंदू मतांधता के कारण नौकरी से अलग किया। हालांकि मोरारजी यह प्रचार करते रहे हैं कि मैंने ब्रिटिश नौकरी को लात मार दी थी! ऐसा मन चालबाज है! निकाले गए नौकरी से, लेकिन कहते हैं कि मैंने लात मार दी थी। और निकाले गए जिस कारण से, वह कारण समझ में आता है, क्योंकि अभी भी हिंदूमतांधता छूटी नहीं है। दिखाते हैं अपने को गांधी का अनुयायी, लेकिन गांधी से ज्यादा अनुयायी हैं गोडसे के। मोरारजी देसाई और वल्लभ भाई पटेल दोनों को यह पता था कि महात्मा गांधी की हत्या की योजना की जा रही है। मोरारजी देसाई तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, और उनको खबर थी। लेकिन उस खबर पर कोई भी व्यवस्था नहीं की गई। Page 101 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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