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________________ भुगते उसीकी भूल वेल्डिंग समेत ही है । इस पर तो एक बड़ी पुस्तक लिखी जाये उतना उसमें सारांश है। एक और "भुगते उसीकी भूल" इतना कहने पर एक और का सारा पझल (प्रश्न) हल हो गया और दूसरे "व्यवस्थित" कहने पर दूसरी औका पझल (प्रश्न) भी हल हो जायेगा । खदको जो द:ख भुगतना पडतै है, वह खुदका ही दोष है, और किसीका दोष नहीं है । जो दुःख देता है उसकी भूल नहीं है । संसारके कानून अनुसार जो दुःख देता है उसकी भूल और भगवानके यहाँके कानून अनुसार तो (5) जो भुगते उसीकी भूल । प्रश्नकर्ता : दुःख देनेवालेको भुगतना तो होगा ही न ? दादाश्री : बोदमें जिस दिन वह भुगतेगा उस वक्त उसकी भूल मानी जायेगी । लेकिन आज आपकी भूल पकड़में आई है । भूल बापकी या बेटेकी ? एक बाप है, उसका बेटा रात गये दो बजे घर लौटता है । वैसे पचास लाखका आसामी है । बाप है तो बाट जोहता बैठा हो कि भाई आया कि नहीं आया ? और भाई लौटे तो लडखडाते घरमें आये । पाँचसातबार बाप समझाने गया तो, सुना दिया लड़केने, इसलिए चूप हो जाना पडा । फिर हमारे जैसे समझाये कि, छोडिए न झंझट, मुएको पडा रहने दो न । आप सो जाये न चैनसे। तब वह कहेगा,"बेटा तो है न मेरा ।" मानों उसकी गोदसे ही नहीं जन्मा हो? भुगते उसीकी भूल भूल है । आपने पिछले जनममें बहकायाथा, इसका यह परिणाम आया है । आपने बहकाया था अब वह माला आपको लौटाने आया है ।" ये दूसरे तीन बेटे भले है उसका आनंद आप क्यों नहीं उठाते ? सभी अपनी ही बनी-बनाई मुसीबते हैं । समझने जैसा है यह जगत ! यह बुडढेके बिगड़े बेटेको मैंने एक दिन पछा, "ओ तेरे बापको कितना दु:ख होता है तुझसे, तुझे कुछ दु:ख (6) नहीं होता ?" बेटा बोला, "मुझे काहेका दुःख ? बाप कमा धमाकर बैढे है, मुझे किस बातकी चिंता है, मैं तो मजे उड़ाता हूँ।" अर्थात इन बाप-बेटेमें भुगत कौन रहा है ? बाप इसलिए बापकी ही भूल । भुगते उसीकी भूल । यह लड़का जुआ खेलता हो, कुछ भी करता हो, उसमें उसके भाई चैनसे सो गये हो । उसकी माँ भी आरामसे सो गई हो । ओर यह अभागा बूइठा अकेला जागता रहेता है । इसलिए इसकी भूल । उसकी क्या भूल तब कहे, इस बूडढेने इस लडकेको पूर्वजन्ममें बहकाया था । इसलिए पिछले अवतारके ऐसे ऋणानुबंध बंधे है, इससे बूडढेको ऐसा भूगतना पड़ रहा है और लड़का तो उसकी भूल भुगतेजा जब उसे अपनी भूलका एहसास होगा । यह तो दोमेंसे जलन किसे होती है । जिसे जनल होती है उसीकी भूल । यह इतना एक ही कानून समझ जायें तो सारा मोक्षमार्ग खुला हो जायेगा । फिर उस बापको समझाया, अब यह गुत्थी सुलझ जाये ऐसा रास्ता आप अख्तियार करें । उसे कैसे फायदा हो उसे नुकशान नहीं हो ऐसे फायदा किया करें। मानसिक चिंता नहीं करें । शारीरिक कार्यस उसके लिये धक्के खाना आदि किया करें । पैसे हो हमारे पास तो देना मगर मानसिक रूपसे याद नहीं किया करें। वर्ना हमारे यहाँ क्या कानून है ? भुगते उसीकी भूल है । बेटा शराब पीकर आरामसे खरटि ले रहा हो और हमें सारी रात नींद नहीं आये तब आप मुझे बतायें कि यह भैंसेकी तरह सो रहा है मुझे नहीं आती है तो मैं लड़का तो आकर सो जाता । फिर मैंने उससे पूछा "लड़का सो जाये फिर आप भी सो जाते है या नहीं?" तब कहे, "मैं किस प्रकार सो पाऊँगा ? यह भैंसा तो शराब पीकर आए अऔ सो जाये, और मैं थोड़े भैंसा हूँ?" मैंने कहा, "वह तो सयाना है ।" देखिए ये सयाने दु:खी होते है । फिर मैंने उसे बताया, "भुगते उसीकी भूल । वह भुगतता तो मैं ही हूँ सारी रातका जागरन..." मैंने कहा, "उसकी भूल नहीं है । यह आपकी
SR No.009579
Book TitleBhugate Usi Ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2001
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size307 KB
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